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पहाड़ी समुदाय को ST दर्जा देने का प्रस्ताव, जितेंद्र सिंह ने अमित शाह को दिया धन्यवाद

जम्मू-कश्मीर में पहाड़ी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के प्रस्ताव पर गृह मंत्री अमित शाह (HM Amit Shah) के प्रति केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह (Jitendra Singh) ने धन्यवाद जताया है.

Jitendra Singh
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह

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Published : Nov 3, 2022, 3:26 PM IST

Updated : Nov 16, 2022, 4:09 PM IST

नई दिल्ली :जम्मू-कश्मीर में पहाड़ी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के प्रस्ताव पर केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ( Jitendra Singh) ने गृह मंत्री अमित शाह (HM Amit Shah) के प्रति धन्यवाद जताया है. बता दें कि गृह मंत्री ने हाल ही में अपने राजौरी दौरे में जम्मू कश्मीर में पहाड़ा समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) के रूप में शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण देने की अनुशंसा की थी. केंद्रीय मंत्री ने सिंह ने ट्वीट कर कहा कि पहाड़ी समुदाय को एसटी का दर्जा देने की लंबे समय से मांग लंबित थी. उन्होंने कहा कि यह केवल मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में ही संभव हो सकता था, जिसमें जम्मू कश्मीर को बदलने का साहस और दृढ़ विश्वास हो.

वहीं राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) ने अब केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर की अनुसूचित जनजाति सूची में पहाड़ी जातीय समूह को शामिल करने का रास्ता साफ कर दिया है. आयोग द्वारा हरी झंडी दिखाने वाले प्रस्ताव में पद्दारी जनजाति, कोली और गड्डा ब्राह्मण समुदायों को जम्मू कश्मीर की एसटी सूची में शामिल करने का भी आह्वान किया गया. यह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा राजौरी में एक सार्वजनिक संबोधन में घोषणा करने के एक महीने के भीतर आता है कि पहाड़ी समुदाय को नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण दिया जाएगा.

अमित शाह के संबोधन के तुरंत बाद, 7 अक्टूबर को केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने एसटी आयोग को एक पत्र भेजा था जिसमें इन चार समुदायों को जम्मू-कश्मीर की एसटी सूची में शामिल करने के प्रस्ताव पर उनकी राय और विचार मांगे गए. सरकारी सूत्रों ने बताया कि आयोग की कई बैठकों के बाद पैनल ने 20 अक्टूबर की अपनी बैठक में इन्हें शामिल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी. एनसीएसटी आयोग ने अपने निष्कर्ष में कहा कि आयोग ने जनजातीय मामलों के मंत्रालय से प्राप्त प्रस्ताव की जांच की है और वह भारत के रजिस्ट्रार जनरल (आरजीआई) के कार्यालय की सिफारिश के आधार पर प्रस्ताव का समर्थन करता है.

बता दें कि पहाड़ी जातियों को शामिल करने का सुझाव केंद्र शासित प्रदेश में सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए गठित आयोग से आया था, जिसकी अध्यक्षता न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) जी.डी. शर्मा ने की थी. नवगठित केंद्र शासित प्रदेश का परिसीमन हो चुका है और भारत का चुनाव आयोग जल्द ही वहां चुनाव कराने की सोच रहा है. गृहमंत्री अमित शाह ने 4 अक्टूबर को पीर पंजाल घाटी के राजौरी में इसका जिक्र किया था. परिसीमन आयोग ने पीर पंजाल घाटी में नौ विधानसभा क्षेत्रों में से छह को एसटी के लिए आरक्षित किया है. पीर पंजाल घाटी में गुर्जरों और बकरवालों का भी घर है, जिन्हें पहले से ही एसटी के रूप में वर्गीकृत किया गया है, और उन्होंने एसटी सूची में पहाड़ियों को शामिल करने की संभावना पर नाराजगी व्यक्त की है. पहाड़ियों को एसटी का दर्जा देने का वादा करते हुए शाह ने कहा था कि सरकार क्षेत्र में गुर्जरों और बकरवालों को मिलने वाले लाभों के हिस्से को कम नहीं करेगी और तीनों समुदायों का समर्थन मांगा था.

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Last Updated : Nov 16, 2022, 4:09 PM IST

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