सरगुजा: छत्तीसगढ़ के हसदेव में चल रहे पर्यावरण संरक्षण आंदोलन का समर्थन करने मणिपुर से लिसिप्रिया कंगुजम पहुंची हैं. लिसिप्रिया ने ग्राम हरिहरपुर में आंदोलनकारियों को संबोधित किया है. सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण आंदोलन स्थल पर मौजूद हैं. हसदेव अरण्य क्षेत्र में जंगल काटने के खिलाफ ग्रामीण आंदोलित हैं. एक लंबे आंदोलन के बाद कई तरह के गतिरोध और सियासी रंग इस आंदोलन ने देखे हैं. अब एक 11 वर्षीय बच्ची मणिपुर से ग्राम हरिहरपुर पहुंची है. यहां आंदोलन से जुड़े आलोक शुक्ला भी उनके साथ पहुंचे हैं. मणिपुर की लिसिप्रिया कंगुजम महज 11 वर्ष की हैं. लिसिप्रिया एक भारतीय बाल पर्यावरण कार्यकर्ता है. 2019 में उन्हें डॉ एपीजे अब्दुल कलाम चिल्ड्रन अवार्ड, अंतरराष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार और इंडिया पीस प्राइज से सम्मानित किया गया है. छह साल की उम्र से पर्यावरण संरक्षण के लिए आंदोलन चला रहीं लिसिप्रिया को 2019 में स्पेन में हुई यूनाइटेड नेशन कॉन्फ्रेंस में आमंत्रित किया गया. उन्हें संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम में ग्रेटा थनबर्ग और जेमी मार्गोलिन के साथ एक विशेष पर्यावरण कार्यकर्ता के रूप में चुना गया था. इंडिया टाइम्स ने उन्हें भारत की सबसे कम उम्र की जलवायु कार्यकर्ता का दर्जा दिया है. इसके अलावा वह 32 देशों के 400 संस्थानों में भ्रमण कर चुकी हैं. Licypriya Kangujam reached Surguja