कोरोना ने मछली पालकों को भी नहीं छोड़ा, कृषि का दर्जा मिलने के बाद भी हुआ भारी नुकसान - Increased bank debt of fish farmers
रायपुर: छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था खेती-किसानी और कृषि पर आधारित व्यवसाय पर निर्भर है. प्रदेश में मछली पालकों को लाभ पहुंचाने के लिए मछली पालन को भी कृषि का दर्जा दिया जा रहा है. इसके लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने बजट में विशेष प्रावधान भी किया है. धान के साथ राज्य के किसान अब मछली उत्पादन में नये रिकॉर्ड बना रहे हैं. प्रदेश में आधुनिक तकनीक से हर साल लगभग 6 से 7 लाख मीट्रिक टन मछली का उत्पादन हो रहा है. बीते 2 साल में प्रदेश में 9 फीसदी तक की वृद्धि के साथ मछली उत्पादन 4.89 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 5.31 लाख मीट्रिक हो गया है. देशभर में मछली उत्पादन के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ 6वें नंबर पर है. छत्तीसगढ़ से कई राज्यों में मछली की सप्लाई हो रही है. यहां से ओडिशा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बंगाल और दिल्ली तक मछली की सप्लाई होती है. कोविड-19 और लॉकडाउन का असर अब छत्तीसगढ़ में मछली पालन पर पड़ने लगा है. मछली उत्पादकों का कहना है कि कोविड-19 और लंबे समय से चल रहे लॉकडाउन से मछली पालन पर बड़ा असर हुआ है. दरअसल, मछली का प्रोडक्शन वैज्ञानिक तरीके से किया जा रहा है. ऐसे में कम समय में मछली का बहुत ज्यादा प्रोडक्शन हो जाता है. मछली को पानी के बाहर नहीं रख सकते हैं. ऐसे में जगह की कमी की समस्या सामने आ रही है