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बीएसपी टाउनशिप एरिया में लीज

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Lease Issue In BSP: बीएसपी टाउनशिप एरिया में लीज के मुद्दे पर गरमाई सियासत, पूर्व मंत्री और विधायक आमने सामने

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Published : Jul 23, 2023, 2:33 PM IST

दुर्ग: भिलाई इस्पात संयंत्र के टाउनशिप एरिया में लीज के मुद्दे को लेकर मामला गरमा गया है. मामले को लेकर कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टी आमने सामने हैं. कांग्रेस का कहना है कि टाउनशिप के 4500 लीजधारकों के लिए रजिस्ट्रेशन के लाभ के साथ अब बैंक लोन भी मिलेगा. वहीं बीजेपी ने कांग्रेस पर झूठ बोलने, भ्रम फैलाने का आरोप लगाया है. साथ ही लीजधारकों को अपने विवेक से शर्तों को अध्ययन कर फैसला लेने की अपील कर रही है. 

प्रॉपर्टी पर लोन मिलने को लेकर संशय:23 साल बाद भिलाई टाउनशिप के 4500 लीज धारकों को मकान का मालिकाना हक मिला है. इसके बाद लीज धारकों ने पुराने दर पर अपने मकान की रजिस्ट्री कराई है. लेकिन अब एक बार फिर लीज धारकों के मन में एक सवाल पैदा होने लगा है. सवाल था कि जिस मकान की रजिस्ट्री वो करवा रहे हैं, क्या उस प्रॉपर्टी पर उन्हें लोन मिलेगा? 

देवेंद्र यादव ने भाजपा पर साधा निशाना:  भिलाई नगर विधायक देवेंद्र यादव ने लिस्ट के मुद्दे को लेकर अपना रुख साफ किया. उन्होंने कहा कि "बीएसपी क्षेत्र में रह रहे बीएसपी के कर्मचारी एवं पूर्व कर्मचारियों को लीज डीड रजिस्ट्री का लाभ मिल रहा है, जो कि पूर्ण रूप से वैधानिक हैं. इस लीज डीड के रजिस्ट्री का लाभ बीएसपी के कर्मचारी एवं पूर्व कर्मियों को मिलेगा. उन्हें बैंक से लोन मिल सकेगा. 

"लीज की रजिस्ट्री और बैंक लोन मिलने से लीज धारकों को बड़ा लाभ हुआ है. भाजपा इसको सहन नहीं कर पा रही है. चुनावी माहौल है, लोग बयान देते ही रहेंगे." - देवेंद्र यादव, विधायक, भिलाई नगर  

कांग्रेस पर जनता को गुमराह करने के आरोप: पूर्व मंत्री प्रेम प्रकाश पाण्डेय का आरोप है कि, "लीज एग्रीमेंट के विषय पर बहुत सारे लोग जनता को गुमराह कर रहे हैं. जिन मुख्यमंत्री का गुणगान किया जा रहा है, ये वही भूपेश बघेल हैं, जिन्होंने राजस्व मंत्री रहते हुए 4500 परिवारों का लीज देने का पुरजोर विरोध किया था. भिलाई के विधायक कह रहे हैं कि घोषणा पत्र में किया हुए एक और वादा पूरा हुआ. जबकि फेस 6 की लीज का वादा वो तो अब भी अधूरा ही है." 

प्रेम प्रकाश पाण्डेय ने आरोप लगाया कि यह केवल बीएसपी प्रबंधन औऱ लीजधारकों के मध्य 20-22 वर्षों पूर्व हुई लीज एग्रीमेंट का शुल्क अदा कर किया हुआ रजिस्ट्रेशन है. उनका आरोप है कि पहले यह स्टाम्प पेपर पर हुआ था, लेकिन रजिस्टर होने के बाद लोग मालिकाना हक मिलने का भ्रम फैला रहे हैं. जबकि ऐसा कुछ नहीं है.  

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