सूरजपुर: इस बार दिवाली में एक खूबसूरत और राहत भरी पहल ये हुई कि लोग मिट्टी और गोबर के दीये खरीद रहे हैं. खरीदने के साथ ही साथ शासन और प्रशासन ने महिलाओं को सशक्त करने के लिए गोबर के दीये बनाने के लिए सुविधा उपलब्ध करा रहा है.
जिले में गोबर के दीये बनाकर महिलाएं अपनी किस्मत सवांर रही हैं. एक समय ऐसा था कि इन महिलाओं के पास कोई काम नहीं था लेकिन आज गोबर की दीये बनाकर अपने घर की आर्थिक स्थिति मजबूत कर रही हैं. साथ ही साथ आत्मनिर्भर हो रही हैं. इससे इन महिलाओं को 3 से 4 हजार तक इनकम हो जाती है.
हजार से ज्यादा दीयों का निर्माण
दीये बनाने वाली ट्रेनर ने बताया कि, यहां करीब 70 से 80 महिलाएं हैं, जो इन दीयों को बनाने का काम कर रहीं हैं. एक दिन में एक महिला सौ से ज्यादा दीयों का निर्माण कर लेती है. अब तक एक हजार दीयों का निर्माण किया जा चुका है और लगातार इसके लिए बाहर से आर्डर आ रहे हैं.
दूसरे राज्यों से भी आ रही मांग
इन ईको फ्रेंडली दीयों के लिए प्रदेश के साथ ही दूसरे राज्यों से भी इसकी मांग आ रही है. इसके अलावा महिलाएं बचे हुए गोबर चूर्ण और पत्तियों से ऑर्गेनिक खादी भी बना रही हैं.
58 गौठानों में संचालित
कलेक्टर दीपक सोनी ने कहा कि, 'मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश के मुताबिक जिले के 58 गौठानों में गोबर के दीये के साथ ही खाद बनाने की मुहिम चलाई जा रही है. सभी जगह ये पहल सुचारु रुप से संचालित हो रही है.'
ये है दीये बनाने की विधि
- इन दीयों को बनाने में गोबर के पाउडर और प्रीमिक्स (मुल्तानी मिट्टी और गोंद) का उपयोग किया जाता है.
- गोबर के पाउडर और प्रीमिक्स को पानी में मिलाकर कड़ा मिश्रण बनाया जाता है.
- मिश्रण तैयार हो जाने के बाद इसकी छोटी लोई बनाकर इसे दीया बनाने वाले विशेष सांचे में ढाल दिया जाता है.
- सांचे से बने हुए दीये को बाहर निकालकर धूप में सुखा दिया जाता है.
- दीयों के सूख जाने के बाद इनका रंग-रोगन कर इन्हें खूबसूरत ईको फ्रेंडली दीये का रूप दे दिया जाता है.