छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

मिसाल: दिव्यांगता को अभिशाप मानने वालों के लिए उदाहरण हैं टीचर यशोदी

यशोदी एक दिव्यांग हैं और अपने खोपा गांव के शासकीय माध्यमिक स्कूल में प्रधान पाठिका के पद पर हैं. विद्यालय में बच्चों को शिक्षा देती हैं और घर पर अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करती हैं.

women day special story from surajpur
दिव्यांगता को अभिशाप मानने वालों के लिए उदाहरण हैं टीचर यशोदी

By

Published : Mar 5, 2020, 12:03 AM IST

सूरजपुर:गुरु वो होता है, जो आपकी सफलता में अपनी खुशी खोज लेता है. जिसके आशीर्वाद के बिना हमें ज्ञान नहीं मिल सकता. जिले के खोपा गांव की रहने वाली ये गुरु कई मायने में खास है. यशोदी दिव्यांग हैं, उनके दोनों पैर नहीं हैं. शारीरिक अक्षमता कभी यशोदी और उनके शिष्यों के बीच नहीं आई. गांव के जिन स्कूल से उन्होंने पढ़ाई की, वहीं पिछले 28 साल से शिक्षा की ज्योत जला रही हैं.

दिव्यांगता को अभिशाप मानने वालों के लिए उदाहरण हैं टीचर यशोदी

यशोदी जिले के खोपा गांव के शासकीय माध्यमिक स्कूल में प्रधान पाठिका के पद पर हैं. विद्यालय में बच्चों को शिक्षा देती हैं और घर पर अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करती हैं. इस काम में उनका साथ उनके पति भी बखूबी निभाते हैं. यशोदी की बेटी कहती हैं कि उन्हें कभी नहीं महसूस हुआ कि उनकी मां दिव्यांग है.

स्कूल में पढ़ाती यशोदी

यशोदी बताती हैं कि माता-पिता ने उन्हें पढ़ाया. वे अपने पिता के कंधों पर बैठकर स्कूल पढ़ने जाया करती थीं. मां के गुजर जाने की बात करते हुए वे मायूस भी हो जाती हैं. उन्होंने कठिन परिस्थितियों में कभी हार नहीं मानी और अपने छात्रों को भी यही शिक्षा देती हैं. यशोदी की दो बेटियां हैं. बड़ी बेटी की शादी हो गई और दूसरी कृषि कॉलेज में पढ़ाई कर रही है, जिसे वे कृषि अधिकारी बनाने का सपना देख रही हैं. यशोदा के साथ काम करने वाले शिक्षक भी उनके कायल हैं.

अपने परिवार के साथ यशोदी

समाज में दिव्यांगता को अभिशाप माना जाता है. कई बार लोग शारीरिक तौर पर अक्षम होने की वजह से हार मान लेते हैं. यशोदी उन लोगों के लिए उदाहरण की तरह हैं. उन्हें देखकर हिम्मत मिलती है. इस महिला दिवस पर हम उन महिलाओं से आपको मिलवा रहे हैं, जो गुमनामी में रहकर समाज में रोशनी भर रही हैं और यशोदी उन्हीं में से एक हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details