छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

सूरजपुर में राशन कार्ड के लिए परेशान 2 दर्जन गांव के लोग, ETV भारत से जानकारी मिलने के बाद जागा प्रशासन - surajpur jila panchayat chunav

शासन की योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाना बड़ी चुनौती है. आदिवासी बहुत छत्तीसगढ़ के गांवों में आज भी लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहलाने वाली पंडो जनजाति के करीब 8 हजार लोग राशन कार्ड के लिए परेशान हैं. अविभाजित मध्य प्रदेश के दौरान जिला पंचायत सदस्य रहीं यशोदा बाई उन्हीं में से एक थी. ETV भारत से जानकारी मिलने के बाद जिला पंचायत ने उन्हें राशन कार्ड मुहैया कराया है. ईटीवी भारत पर खबर दिखाए जाने के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया. उसके बाद महिला को राशन कार्ड मुहैया कराया गया है.जिला पंचायत सीईओ का कहना है कि एक महीने के अंदर सभी को राशन कार्ड मिल जाएगा.

yashoda-bai
यशोदा बाई

By

Published : Jul 24, 2021, 9:15 PM IST

सूरजपुर:अविभाजित मध्य प्रदेश के सरगुजा जिला पंचायत की सदस्य रही यशोदा बाई जो भीख मांग कर अपना गुजारा करने को मजबूर थी, उन्हें ETV भारत से जानकारी मिलने के बाद राशन कार्ड मुहैया कराया गया है. पंडो जनजाति की यशोदा बाई की उम्र 70 वर्ष है. वे सूरजपुर जिले के बिहारपुर चांदनी के कोल्हुआ गांव की रहने वाली हैं. यशोद जब जिला पंचायत सदस्य थीं, तो कांग्रेस ने बड़े-बड़े नेताओं के साथ उनका उठना बैठना था. लेकिन बुरे वक्त में सबने साथ छोड़ दिया. ETV भारत से जानकारी मिलने के बाद जिला पंचायत ने उन्हें राशन कार्ड मुहैया कराया है. उनकी तरह दो दर्जन से अधिक गांवों के करीब एक हजार लोग राशन कार्ड बनवाने के लिए परेशान हैं. जिला पंचायत सीईओ ने आश्वासन दिया है कि एक महीने के अंदर सभी को राशन कार्ड मुहैया कराया जाएगा.

यशोदा बाई को मिला राशन कार्ड

यशोदा बाई के तीन बेटे और एक बेटी है. बेटी शादी के बाद गुजरात के सूरत चली गई और तीनों बेटे शादी के बाद अलग घर बनाकर रहने लगे. कई सालों तक सरपंच रहे पति दखल सिंह मौत के बाद बच्चों ने मां से वास्ता नहीं रखा. जिससे वह एकाकी जीवन जी रही हैं. राशन कार्ड से भी उनका नाम काट दिया गया था. लिहाजा वह भीख मांगकर पेट भरने को मजबूर थी. कहीं से कुछ मिल गया तो खा लेती थी, वरना वह भूखी ही सो जाती थी.

ETV BHARAT की खबर का असर, स्वास्थ्य मंत्री ने सरगुजा में एक साथ 30 नए अस्पतालों की स्वीकृति दी

लॉकडाउन में भूखी सोईं यशोदा

यशोदा बाई को आज तक प्रधानमंत्री आवास का लाभ तक नहीं मिला है. मिट्टी के टूटे-फूटे घर में रहती हैं. बरसात में जगह-जगह से पानी रिसने लगता है. यशोदा ने बताया पहले उसका राशन कार्ड बना था. लेकिन जब राशन कार्ड का नवीनीकरण हुआ, तो उसका नाम काट दिया गया. जब से नाम कटा है, तब से सरकारी दुकान से मिलने वाला राशन मिलना बंद हो गया. यशोदा बताती हैं कि दो साल से ज्यादा वक्त बीत गया था कि वे राशन के लिए परेशान थीं. लाठी पकड़-पकड़े अफसरों और जनप्रतिनिधियों के चक्कर काट लिए थे. कोरोना महामारी के दौरान उसे कई दिनों तक भूखे पेट सोना पड़ा था. लेकिन अब उन्हें राशन कार्ड मुहैया करा दिया गया है.

करीब एक हजार लोग राशन कार्ड से हैं वंचित

बिहारपुर चांदनी क्षेत्र के दो दर्जन से अधिक गांवों के लगभग एक हजार लोग राशन कार्ड बनवाने के लिए परेशान हैं. कई ऐसे लोग भी थे, जिन्होंने इसके लिए सचिव को रिश्वत देने का भी दावा किया है. फिर भी अभी तक उनके राशन कार्ड नहीं बन सके. ग्रामीण का कहना है कि एक बार आवेदन दिया उन्होंने लेकिन रिस्पॉन्स नहीं मिला. वे दुकान से राशन खरीदने को मजबूर हैं. खेती-किसानी भी नहीं है तो वे परेशान हैं. दूसरी ग्रामीण का कहना है कि कई बार फॉर्म पंचायत और खाद्य विभाग को दिया गया लेकिन फॉर्म कहां गया, इसका पता नहीं चला. ग्रामीण का कहना है कि सचिव लोग ध्यान नहीं दे रहे हैं.

इन लोगों की समस्या ETV भारत के जरिए अधिकारियों तक पहुंची. ईटीवी भारत की इस खबर के बाद जिला पंचायत सीईओ द्वारा यशोदा बाई को राशन कोर्ड मुहैया कराया दिया गया है. साथ ही अधिकारी ने कहा है कि बाकी जो लोग भी राशन कार्ड से वंचित हैं, उन्हें भी एक महीने के भीतर राशन कार्ड मुहैया करा दिया जाएगा.

ABOUT THE AUTHOR

...view details