सूरजपुर:जिले केजजावल के ग्रामीणों का कहना है, कि 'भगवान साक्षात धरती पर उतर आए हैं'. ग्रामीणों के ये शब्द और भावना जजावल कंटेन्मेंट क्षेत्र में उनकी सेवा और कोरोना से बचाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे चिकित्सकों के लिए है. स्वास्थ्य विभाग से जुड़े चिकित्सकों के साथ सभी कर्मचारियों की मेहनत ने ग्रामीणों को अपना मुरीद बना दिया है, क्योंकि कोरोना पॉजिटिव केस सामने आने के बाद एक बड़े डर को पीछे छोड़ जजावल क्षेत्र के लोग सुरक्षित महसूस कर रहे हैं.
बता दें कि शासन और जिला प्रशासन के निर्देश और सीएमएचओ, बीएमओ के मार्गदर्शन में स्वास्थ्य कर्मचारी जजावल कंटेन्मेंट क्षेत्र में मौजूद हैं. ग्रामीणों के विरोध के बाद जजावल में बाहरी मजदूरों के लिए राहत शिविर बनाया गया. इसके बाद शिविर से तीन मजदूरों के साथ तीन स्थानीय लोगों का कोरोना पॉजिटिव आना जजावल और आस-पास के गांवों में डर और आक्रोश का कारण बन गया था. डर इस कदर बढ़ गया था, कि ग्रामीण आक्रोशित हो गए थे, लेकिन आज इस डर को पीछे छोड़ ग्रामीण खुद को सुरक्षित महससू कर रहे हैं इसके पीछे जिला प्रशासन की तैयारियां,शासन का सहयोग और कई लोगों की मेहनत है, लेकिन इन सबके बीच एक विभाग ऐसा है जिससे जुड़े लोग खुद की परवाह किए बिना सिर्फ एक उद्देश्य से काम कर रहे हैं और वह है कोरोना को हराकर लोगों को सुरक्षित रखने का.
स्वास्थ्य विभाग निभा रहे अपनी जिम्मेदारी
स्वास्थ्य विभाग से जुड़े चिकित्सकों के साथ स्वास्थ्य कर्मियों की बात करें तो, वे शिविर लगने और कोरोना पॉजिटिव केस सामने आने के बाद से जजावल कंटेन्मेंट क्षेत्र में लगातार काम कर रहे हैं. साथ ही कोरोना को हराने के साथ ग्रामीणों में बैठे डर को भगाने का काम कर रहे हैं. जजावल में शिविर बनने के बाद से स्वास्थ्य विभाग ने मजदूरों के साथ अपनी भूमिका की शुरुआत की थी, लेकिन कुछ दिनों बाद ही शिविर में एक मजदूर कोरोना पॉजिटिव पाया गया. इसके बाद पांच और केस सामने आए, जिससे इनकी जिम्मेदारी और ज्यादा बढ़ गई. क्योंकि अब इनके सामने कई गांवों को संक्रमण से बचाने की जिम्मेदारी थी.
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घर-घर जाकर किया जा रहा सर्वे
शासन और जिला प्रशासन के निर्देश पर चिकित्सकों के साथ स्वास्थ्य कर्मियों की टीम इस जिम्मेदारी को पूरा कर भी रही है. साथ ही कोरोना पॉजिटिव मरीजों के संपर्क में आए लोगों का चिन्हांकन और उनकी जांच कर रही है. इसके साथ ही गांव-गांव में घर-घर सर्वे करना सहित कई काम हैं, जो वे 28 अप्रैल से लगातार कर रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग के सामने इलाज के अलावा सबसे बड़ी चुनौती स्थानीय लोगों को जागरूक करते हुए विश्वास में लेना और उनके अंदर बैठे डर को दूर करना भी था. यह कार्य भी स्वास्थ्य टीम ने बखूबी किया. यही कारण है कि जजावल कंटेन्मेंट में आने वाले सभी गांवों के लोग चिकित्सकों के साथ स्वास्थ्य कर्मचारियों के मुरीद हो गए हैं. और इनके रूप में साक्षात भगवान को देख रहे हैं.
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चिकित्सकों के साथ बड़ी संख्या में काम कर रहे स्वास्थ्य कर्मचारी
सीएमएचओ, डॉ. आरएस सिंह और बीएमओ डॉ. राजेश श्रेष्ठ के मार्गदर्शन में प्रतापपुर ब्लॉक के पीएस रेंवटी, पकनी के समस्त कर्मचारियों के साथ बड़ी संख्या में जिले के चिकित्सक और कर्मचारियों की कई टीम अलग-अलग काम कर रही है.
ये निभा रहे अपनी ड्यूटी-
- डॉ. राजेश पैंकरा, डॉ. अजय मरकाम, डॉ. आदित्य राजवाड़े, डॉ. दीपक जायसवाल, डॉ. दीपक मरकाम की अलग-अलग टीम सैंपल लेने के साथ ही लोगों को क्वॉरेंटाइन कराने का काम कर रही है.
- बीपीएम सतीश श्रीवास्तव, बीडीएस विनीत खरे,एमडी अम्ना देवांगन, राजा और शुभम अग्रवाल कंट्रोल रूम में काम कर रहे हैं.
- शुभम सदन नाविक और शुभम श्रीवास्तव सलाहकार के रूप में काम कर रहे हैं.
- डॉ. विकास गुप्ता और डॉ. शिव संतोष रेपिड रिस्पॉन्स प्रभारी के रूप में काम कर रहे हैं.
- नोडल पर्सन राजेश वर्मा डाटा कलेक्शन और एक्टिव सवोलेंश का काम कर रहे हैं.
- दिनेश राजवाड़े, रामलाल राजवाड़े,चंद्रभान पैंकरा,अशोक कुमार सिंह,हेमंत बड़ा और विजय बहादुर राजवाड़े रेड जोन एरिया के साथ भवनों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.
- डॉ. विजय सिंह,एंबुलेंस ड्राइवर जवाहिर ठाकुर, चन्द्रभास्कर निर्देशानुसार अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं.
- बीईईओ शिवपूजन यादव लाउडस्पीकर के साथ प्रचार प्रसार का काम कर रहे हैं.
मिली जानकारी के मुताबिक अब तक घर-घर सर्वे,गोलियों का वितरण के साथ रेपिड और आरटी पीसीआर जांच बड़ी संख्या में की जा चुकी है. इसके साथ ही लोगों को जागरूक करने का काम भी लगातार जारी हैं. स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि 'पहले जजावल में शिविर रखने और फिर शिविर से कोरोना पॉजिटिव आने के बाद पूरे गांव में निराशा का आलम था. सब गांव के लोग हिम्मत हार गए थे और कोरोना के रूप में एक डर समा गया था, जो अंदर ही अंदर भयावह होता जा रहा था, लेकिन शुरुआती कुछ दिनों के बाद अब यह निराशा आशा में बदल रही है, जिसका कारण पूरे प्रशासन के साथ स्वास्थ्य विभाग की मेहनत है'.
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