सूरजपुर : वनांचल क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीण तेंदूपत्ता को हरा सोना मानते हैं. गर्मी के दिनों में जब उनके पास ना तो खेत में काम होता है और ना ही घर में कुछ काम, तब यही तेंदूपत्ता उनके आय का मुख्य साधन होता है. छत्तीसगढ़ सरकार ने वनांचल के रहने वाले ग्रामीणों के लिए तेंदूपत्ता के प्रति मानक बोरा संग्रहण राशि 4000 रुपये देने की घोषणा की है. जिससे ग्रामीण और तेंदूपत्ता संग्रहण से जुड़े संगठन खुश थे और तेंदूपत्ता के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण से उपजे हालात और लॉकडाउन ने आदिवासियों के चेहरे की मुस्कान छीन ली है.
पूरी तरह से वनों पर आश्रित रहने वाली महिला ने अपना दुख व्यक्त करते हुए बताया कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से इस बार संग्रहण का कार्य देर से शुरू हुआ. जिसके कारण उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. तेंदूपत्ता संग्रहन का कार्य चालू है, इस बार मौसम की वजह से तेंदूपत्ता पर भी प्रभाव पड़ा है. हालांकि रोजगार गारंटी के कार्य शुरू होने से राहत मिली है.
सूरजपुर के कलेक्टर दीपक सोनी ने कहा है कि जिले तेंदूपत्ता के संग्रहण का काम चालू हो गया है. जजावल जो कंटेनमेंट जोन है, वहां संग्रहण की अनुमति नहीं दी गई है. बाकि जगह पूरे ऐहतिहात के साथ काम शुरू कराया गया है.
केंद्रीय राज्यमंत्री ने सरकार को घेरा
वहीं तेंदूपत्ता खरीदी पर सवाल उठाते हुए केंद्रीय जनजाति कार्य राज्यमंत्री रेणुका सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ में तेंदूपत्ता संग्रहण का समय कम है. इसलिए सरकार खरीदी का टारगेट पूरा नहीं कर सकती. जबकि मध्यप्रदेश में टारगेट से ऊपर की खरीदी की गई है. छत्तीसगढ़ आदिवासी बाहुल्य राज्य हैं और यहां के अधिकांश आदिवासी परिवारों का जनजीवन जंगल पर आधारित है. वहीं प्रदेश की सरकार इस कोरोना संकट में आदिवासी परिवारों की मदद के बजाए उनके साथ छल कर रही है.
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'लोगों का सरकार से भरोसा उठ गया है'