सूरजपुर: पंडो जनजाति राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहलाते हैं. इस जनजाति के उत्थान के लिए प्रत्येक वर्ष केंद्र और राज्य सरकार करोड़ों रुपए खर्च करती है. बावजूद इसके आज भी ये जनजाति बदहाल जीवन जीने को मजबूर हैं( Surajpur Pando tribe not getting basic facilities). इनके पास न तो सड़क है, ना बिजली, ना स्कूल, ना पानी. कुल मिलाकर मूलभूत सुविधाओं से ये जनजाति वंचित (Pando tribe not getting basic facilities) है. इधर, जिले के आला अधिकारी सब ठीक होने की बात कहते हैं.
आइए आपको हम बताते हैं कि मौजूदा समय में सूरजपुर में पंडो जनजाति के क्या हालात हैं...
दरअसल, सूरजपुर के ओड़गी ब्लॉक का बिरसा पारा गांव... इस गांव की कुल आबादी लगभग 400 के आसपास है. यह गांव पंडो बहुल गांव है(Surajpur Pando tribe). इस गांव के हालात को देख यकीन नहीं होता है कि हमारी आजादी के 70 साल पूरे हो चुके हैं. आज भी इस गांव के ग्रामीण तमाम मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. इस गांव में सड़क ना होने की वजह से किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य सुविधाएं लोगों को मुहैया नहीं हो पा रही.
15 निकाय चुनाव की बैठक में शामिल होगी डी पुरंदेश्वरी, प्रत्याशियों की बैठक में लेगी भाग
जंगलों से होकर स्कूल जाने को मजबूर बच्चे
अगर कोई व्यक्ति बीमार हो तो उसे खाट पर उठाकर कई किलोमीटर का सफर तय कर अस्पताल तक पहुंचाना पड़ता है. इस दौरान कई ग्रामीणों की मौत भी हो चुकी है. इतना ही नहीं इस गांव में एक भी स्कूल नहीं है. जिसके कारण छोटे बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रतिदिन 7 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है. ये 7 किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए बच्चों को प्रतिदिन घने जंगलों से गुजरना पड़ता है. जिसमें खतरनाक उंगली जानवर रहते हैं.ग्रामीणों की मानें तो इस जंगल में जंगली जानवर के हमले में कई लोगों की जान भी जा चुकी है.
गंदे पानी पीने को मजबूर ग्रामीण