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टूट रहा रिश्ता: हाथियों की कब्रगाह बन गया सूरजपुर, नहीं थम रहा मौत का सिलसिला

History of Surajpur and elephant: सूरजपुर ग्रामीणों और हाथियों के लिए आज कब्रगाह साबित हो रहा है. कभी हादसे की वजह से, तो कभी षड्यंत्र की वजह से. अभी तक जिले में दर्जनों हाथियों की मौत हो चुकी है.

Surajpur became the graveyard of elephants
हाथियों की कब्रगाह बन गया सूरजपुर

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Published : Jan 22, 2022, 10:21 PM IST

Updated : Jan 23, 2022, 9:22 AM IST

सूरजपुर:सूरजपुर जिला पिछले कई दशकों से हाथियों को लेकर सुर्खियों में रहा है. ऐसा इसलिए कि जिले में अबतक हाथियों ने कई ग्रामीणों को मौत के घाट उतार दिया है. वहीं, कई हाथियों को हादसे और षड्यंत्र की वजह से अपनी जान भी गंवानी पड़ी है. बता दें कि वन विभाग की सभी योजनाएं अभी तक फेल रही हैं. जबकि सत्ता पक्ष और विपक्ष एक दूसरे पर दोषारोपण करने में ही व्यस्त हैं.

हाथियों की कब्रगाह बन गया सूरजपुर

बहुत पुराना है सूरजपुर और हाथियों का इतिहास

छत्तीसगढ़ में सूरजपुर और हाथियों का इतिहास बहुत पुराना है. पिछले कई दशक से इस जिले में हाथियों का आना-जाना लगा है. वन विभाग भी हाथियों और ग्रामीणों के संरक्षण के लिए हर वर्ष करोड़ों खर्च करता है. बावजूद इसके सूरजपुर जिला ग्रामीणों और हाथियों के लिए आज कब्रगाह साबित हो रहा है. कभी हादसे की वजह से, तो कभी षड्यंत्र की वजह से. अभी तक जिले में दर्जनों हाथियों की मौत हो चुकी है. वहीं बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने भी अपनी जान गंवाई है.

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महज तीन साल में एक दर्जन से भी अधिक हाथी की हुई मौत

बात अगर बीते 3 साल की ही करें तो अभी तक एक दर्जन से भी ज्यादा हाथियों की मौत हो चुकी है. जबकि हाथियों की हत्या के मामले में करीब 15 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भी भेजा जा चुका है. वहीं वन विभाग के दर्जनभर से ज्यादा कर्मचारी और अधिकारियों पर भी कार्रवाई हो चुकी है. जिनपर कार्रवाई हुई है, उनमें डीएफओ-रेंजर सहित कई अधिकारी शामिल हैं. अब तो ग्रामीण भी सरेआम यह बोलते दिख जाते हैं कि स्थिति यही रही तो हाथियों की मौत के आंकड़ों में भारी इजाफा होगा.

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राजनीतिक पार्टियों के बीच चल रहा आरोप-प्रत्यारोप का दौर

छत्तीसगढ़ में जब भाजपा की सरकार थी तो यही कांग्रेस के नेता हाथियों की मौत के मामले को लेकर सड़कों पर आंदोलन करने उतर जाते थे. लेकिन अब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार आने के बाद भाजपा उन पर आरोप लगा रही है. वन विभाग हाथियों के संरक्षण के नाम पर हर साल करोड़ों रुपए खर्च भी कर रहा है. अभी तक दर्जनों योजनाएं भी विभाग ने लाईं. लेकिन आज तक एक भी योजना सफल नहीं हो सकी. हालांकि अभी भी वन विभाग इसका दावा कर रहा है कि वह हाथियों के संरक्षण के लिए कई योजनाओं का संचाल कर रहा है. इतना है विभागीय दावे पर भरोसा करें तो ऐसा कहा जा रहा है कि ग्रामीण और हाथियों को संरक्षित करने के लिए सामंजस्य का भी प्रयास किया जा रहा है.

इलाके में नहीं थम रहा हाथियों की मौत का सिलसिला

बहरहाल, हाथी और सूरजपुर के रिश्ते के कई साल बीत चुके हैं. समय बदल चुका है. कई सरकारें इस बीच आईं और चली गईं, लेकिन अब तक इस इलाके में हाथियों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. सभी सरकारें हाथियों को संरक्षित करने का दावा करती हैं, लेकिन आज भी इस इलाके में हाथियों की सुरक्षा की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. इसपर बड़ा सवाल यह है कि आखिर इसका जिम्मेदार कौन है?

Last Updated : Jan 23, 2022, 9:22 AM IST

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