सूरजपुर:कोरोना महामारी के कारण सभी मंदिर बंद हैं. पहले श्रद्धालु आते थे, तो चढ़ावे से पुजारियों का घर चलता था और प्रसाद वहां रहने वाले बंदर-गाय खाते थे. लेकिन कोरोना की वजह से देवालयों के पट भक्तों के लिए बंद हैं. ऐसे में मंदिरों में रहने वाले जानवर भूख से परेशान हैं. जिले के कुंदरगढ़ धाम में भी यही स्थिति है. यहां सैकड़ों बंदरों का आना-जाना है. भूख से परेशान, चिल्लाते बंदर जब कुंदरगढ़ चौकी में पदस्थ कॉन्स्टेबल राजेश पटेल से नहीं देखे गए तो उन्होंने उनका पेट भरने का फैसला लिया.
ये बंदर कॉन्स्टेबल राजेश पटेल की आवाज सुनकर दौड़े चले आते हैं. राजेश पटेल रोजाना मंदिर जाते हैं और आवाज लगाते हैं. उनकी आवाज सुनते ही बंदर दौड़ कर आते हैं और लाया हुआ सामान खाने लगते हैं. राजेश पटेल कहते हैं कि लॉकडाउन के दौरान दर्शनार्थियों का आना-जाना बंद हो गया. मंदिर में करीब 500 बंदर हैं. छोटे-छोटे बच्चे भूख से तड़प रहे थे. रात भर बंदर रोते थे, तो देखा नहीं गया. पहले उन्होंने मुर्रा खिलाना शुरू किया फिर तरबूज और टमाटर लेकर जाने लगे.'
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करीब दो महीने से भर रहे हैं मंदिरों का पेट
कॉन्स्टेबल राजेश पटेल कहते हैं कि हर दिन बंदरों को खाना खिलाने का ये क्रम करीब दो महीने से जारी है. हर दिन एक बोरा मुर्रा बंदरों को वे बांटते हैं. राजेश पटेल कहते हैं कि जब वे नहीं जा पाते को किसी के जरिए बंदरों को खाना खिलवाते हैं. धीरे-धीरे पुलिस अफसरों ने भी राजेश की मदद करनी शुरू की. अब तक तीन हजार रुपए अधिकारी दे चुके हैं.