सूरजपुर:SECL की सबसे पहली और पुरानी विश्रामपुर OCM (ओपन कास्ट खदान) अब बंद होने की कगार पर है. इस खदान में कोयले का भंडारण खत्म होने से अब इन खदानों को पाटने का काम किया जा रहा है. OCM विश्रामपुर की स्थापना 1961 में हुई थी. पिछले 59 सालों से इस खदान से कोयला निकाला जा रहा था. हालांकि पिछले 10 सालों से ही यहां कोयले की कमी हो गई थी, लेकिन किसी तरह खींचतान कर OCM को चलाया जा रहा था.
एशिया की सबसे बड़ी मशीनों से होती थी माइनिंग
SECL की पहचान इस OCM में एशिया की सबसे बड़ी मशीनों से माइनिंग का काम होता था. 1960-61 में रशिया से दो ड्रगलाइन मशीनें शिवा और शक्ति लाई गई गई थी, जिनसे कोयला खदान का काम शुरू हुआ. 36 मिलियन टन कोयला के लक्ष्य के साथ दोनों ड्रगलाइन मशीन शिवा और शक्ति को प्रंबधन ने 300 करोड़ में खरीदा था, लेकिन दोनों मशीनों ने अपने लक्ष्य से ज्यादा 38 मिलियन टन कोयला उत्पादन कर SECL को कोल इंडिया में अलग पहचान दी, जिसका श्रेय दोनों ड्रगलाइन मशीन शिवा और शक्ति को जाता है.
ड्रगलाइन शिवा को डेढ़ साल पहले स्क्रैप फर्म को बेचा
लगभग डेढ़ साल पहले ड्रगलाइन शिवा को सर्वे ऑफ करने के बाद नीलाम कर दिया गया. उसके कलपुर्जे काफी महंगे होने के कारण कंपनी से उसे सर्वे ऑफ करते हुए स्क्रैप फर्म को लगभग 2 करोड़ रुपए में बेच दिया गया था, नीलामी के साथ ही विश्रामपुर क्षेत्र का गौरव कहे जाने वाली शिवा ड्रगलाइन का अस्तित्व भी खत्म हो गया था. इसके बाद शक्ति ड्रगलाइन को किसी तरह चलाया गया, लेकिन अब उसे भी जल्द ही सर्वे ऑफ करने की तैयारी चल रही है जिसमें लगभग 6 महीने का समय लगेगा, फिलहाल शक्ति ड्रगलाइन से कोयला खदानों को पाटने का काम किया जा रहा है. इस काम के बाद उसे भी सर्वे ऑफ कर स्क्रैप फर्म को बेच दिया जाएगा. क्योंकि ये मशीनें इतनी भारी-भरकम होती है कि इन्हें एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में स्थानांतरण नहीं किया जा सकता है.
- एशिया की सबसे बड़ी ड्रगलाइन
- 8-10 साल से बंद है ड्रगलाइन शक्ति
- शक्ति को रिपेयर करके चलाया जा रहा था.
- डेढ़ साल पहले शिवा ड्रगलाइन को स्क्रैप फर्म में बेचा गया.
- जिसकी कीमत करीब 2 करोड़ रुपए मिली.
- कोयले की कमी के कारण बंद होने की कगार पर OCM
- 1960-61 में रशिया से लाई गई थी शिवा-शक्ति ड्रगलाइन
'खदान बंद होने के लिए निजीकरण जिम्मेदार'