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SPECIAL: एशिया की सबसे बड़ी ड्रगलाइन मशीन 'शक्ति' को कबाड़ में बेचने की तैयारी

विश्रामपुर OCM में करीब 60 साल से कोयला खनन कर रही करोड़ों रुपयों की 'शक्ति' ड्रगलाइन को भी अब कबाड़ में बेचने की तैयारी चल रही है. कोयले का भंडारण खत्म होने के बाद विश्रामपुर OCM बंद होने की कगार पर है.

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Published : Jun 15, 2020, 2:09 PM IST

Updated : Jun 15, 2020, 5:24 PM IST

drugline 'shakti' also ready to sell to scrap firm
ड्रगलाइन 'शक्ति' का भी अस्तित्व खतरे में

सूरजपुर:SECL की सबसे पहली और पुरानी विश्रामपुर OCM (ओपन कास्ट खदान) अब बंद होने की कगार पर है. इस खदान में कोयले का भंडारण खत्म होने से अब इन खदानों को पाटने का काम किया जा रहा है. OCM विश्रामपुर की स्थापना 1961 में हुई थी. पिछले 59 सालों से इस खदान से कोयला निकाला जा रहा था. हालांकि पिछले 10 सालों से ही यहां कोयले की कमी हो गई थी, लेकिन किसी तरह खींचतान कर OCM को चलाया जा रहा था.

कबाड़ हुई ड्रगलाइन 'शक्ति'

एशिया की सबसे बड़ी मशीनों से होती थी माइनिंग

SECL की पहचान इस OCM में एशिया की सबसे बड़ी मशीनों से माइनिंग का काम होता था. 1960-61 में रशिया से दो ड्रगलाइन मशीनें शिवा और शक्ति लाई गई गई थी, जिनसे कोयला खदान का काम शुरू हुआ. 36 मिलियन टन कोयला के लक्ष्य के साथ दोनों ड्रगलाइन मशीन शिवा और शक्ति को प्रंबधन ने 300 करोड़ में खरीदा था, लेकिन दोनों मशीनों ने अपने लक्ष्य से ज्यादा 38 मिलियन टन कोयला उत्पादन कर SECL को कोल इंडिया में अलग पहचान दी, जिसका श्रेय दोनों ड्रगलाइन मशीन शिवा और शक्ति को जाता है.

1960-61 में रशिया से लाई गई थी शिवा-शक्ति ड्रगलाइन
1960-61 में रशिया से लाई गई थी शिवा-शक्ति ड्रगलाइन

ड्रगलाइन शिवा को डेढ़ साल पहले स्क्रैप फर्म को बेचा

लगभग डेढ़ साल पहले ड्रगलाइन शिवा को सर्वे ऑफ करने के बाद नीलाम कर दिया गया. उसके कलपुर्जे काफी महंगे होने के कारण कंपनी से उसे सर्वे ऑफ करते हुए स्क्रैप फर्म को लगभग 2 करोड़ रुपए में बेच दिया गया था, नीलामी के साथ ही विश्रामपुर क्षेत्र का गौरव कहे जाने वाली शिवा ड्रगलाइन का अस्तित्व भी खत्म हो गया था. इसके बाद शक्ति ड्रगलाइन को किसी तरह चलाया गया, लेकिन अब उसे भी जल्द ही सर्वे ऑफ करने की तैयारी चल रही है जिसमें लगभग 6 महीने का समय लगेगा, फिलहाल शक्ति ड्रगलाइन से कोयला खदानों को पाटने का काम किया जा रहा है. इस काम के बाद उसे भी सर्वे ऑफ कर स्क्रैप फर्म को बेच दिया जाएगा. क्योंकि ये मशीनें इतनी भारी-भरकम होती है कि इन्हें एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में स्थानांतरण नहीं किया जा सकता है.

59 साल से हो रहा है कोयला खदान
  • एशिया की सबसे बड़ी ड्रगलाइन
  • 8-10 साल से बंद है ड्रगलाइन शक्ति
  • शक्ति को रिपेयर करके चलाया जा रहा था.
  • डेढ़ साल पहले शिवा ड्रगलाइन को स्क्रैप फर्म में बेचा गया.
  • जिसकी कीमत करीब 2 करोड़ रुपए मिली.
  • कोयले की कमी के कारण बंद होने की कगार पर OCM
  • 1960-61 में रशिया से लाई गई थी शिवा-शक्ति ड्रगलाइन
    विश्रामपुर OCM बंद होने की कगार पर

'खदान बंद होने के लिए निजीकरण जिम्मेदार'

SECL विभाग के जनप्रतिनिधि खदानों के बंद होने को लेकर केंद्र सरकार के निजीकरण को जिम्मेदार मान रहे हैं. इनका कहना है कि खदानों का ज्यादातर काम ठेके पर चलाया जा रहा है. जिससे कोयला उत्पादन काफी प्रभावित हुआ है.

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शक्ति ड्रगलाइन को धरोहर बनाने की मांग

शिवा और शक्ति ड्रगलाइन को धरोहर के रूप में रखने की मांग भी उठी. ताकि यहां के क्षेत्रवासियों और आने वाली पीढ़ियों के लिए ये एक यादगार रहे, क्योंकि विश्रामपुर की पहचान इन्हीं ड्रगलाइन के कारण रही है. यह एशिया की सबसे बड़ी ड्रगलाइन मशीन है.

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SECL को सिरमौर बनाने में अहम योगदान देने वाले ड्रगलाइन अब हमेशा के लिए विलुप्त हो जाएंगे. शिवा ड्रगलाइन को तो पहले ही स्क्रैप फर्म में बेच कर उसका नामोनिशान मिटा दिया गया. अब शक्ति की बारी है और कुछ ही महीनों में इसे भी स्कैप फर्म में बेच दिया जाएगा.

Last Updated : Jun 15, 2020, 5:24 PM IST

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