सूरजपुर: छत्तीसगढ़ मंदिरों के लिए प्रसिध्द है. यहां हर जिले में मंदिरों की अपनी अलग गाथा सुनने को मिल जाएगी. आस्था के प्रतीक कई मंदिर यहां सदियों से स्थापित हैं. इसी क्रम में सूरजपुर के 11 मंदिर प्राचीन समय से ही अपनी कहानी बयां कर रहे हैं. राजघरानों के लिए मशहूर सरगुजा संभाग में रियासतकालीन कई मंदिर आज भी उन रियासतों की पहचान बयां कर रहे हैं.
प्रतापपुर में 13वीं शताब्दी के समय राजा लाल बिंदेश्वर प्रसाद सिंह ने नगर में 13 मंदिर बनाए थे, जिसे आज भी दूर-दूर से लोग देखने आते हैं, लेकिन बदलते दौर में मंदिरों की नगरी कहलाने वाला प्रतापपुर से राजमहल के ईंटों का नामोनिशान मिटने लगा है. जहां 13 मंदिर हुआ करते थे, वहीं अब सिर्फ में 11 मंदिर ही रह गए हैं. कई मंदिर रखरखाव के अभाव में खंडित हो गए.
मंदिरों की है अपनी मान्यताएं
नगर स्थित शिव मंदिर में प्राकृतिक रूप से निकलने वाले पानी से सालभर खेती के लिए पानी की आपूर्ति होती है. भैरव मंदिर में शाम होते ही आरती के साथ ही भैरवदेव के वाहक स्वान (कुत्ते) मंदिर में चिल्लाने लगते हैं. मंदिर के पास पक्के तालाब के अंदर कई सुरंग होने की किवदंतिया भी सुनने को मिलती हैं.