छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

सिर पर छत दिला दो साहब: 2 साल से घर के लिए भटक रहा 70 साल का बुजुर्ग, 'बेरहम' जिम्मेदार

सूरजपुर की ग्राम पंचायत बिहारपुर में एक बुजुर्ग दंपति को दो साल बाद भी प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिलने वाला घर अब तक नहीं मिला. 2018 में उन्हें मकान निर्माण के लिए स्वीकृति प्रमाण तो दे दिया गया, लेकिन अब तक बैंक में निर्माण का पैसा नहीं आया और न ही किसी तरह की जानकारी मिली है. बुजुर्ग अब दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हैं.

surajpur pradhanmantri awas yojna news
सूरजपुर में दो साल से घर के लिए भटक रहा बुजुर्ग

By

Published : Jun 19, 2020, 7:43 PM IST

सूरजपुर:राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहलाने वाले पंडो जनजाति के 70 साल के बुजुर्ग समारू पंडो को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिलने वाले घर के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है. सूरजपुर की ग्राम पंचायत बिहारपुर के रहने वाले एक बुजुर्ग दंपति को बीते दो साल से अपने आशियाने के लिए दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं.

सूरजपुर में दो साल से घर के लिए भटक रहा बुजुर्ग

समारू ने ETV भारत को बताया कि साल 2018 में उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर बनने की स्वीकृति मिल चुकी थी. स्वीकृति प्रमाण पत्र दो साल पहले मिलने के बावजूद उन्हें आज तक उन्हें अपना घर नसीब नहीं हुआ. समारू ने बताया कि दो साल पहले पंचायत सचिव नर्मदा पाठक ने उन्हें स्वीकृति प्रमाण पत्र दिया था, जिसके बाद आज तक वह मिट्टी के कच्चे घर में रहने को मजबूर हैं. न घर निर्माण के लिए पैसे मिले और न ही कोई जानकारी मिली है.

मिट्टी के कच्चे घर में रहते हैं बुजुर्ग दंपति

बैंक में नहीं आई आवास निर्माण की राशि

बुजुर्ग के मुताबिक पंचायत सचिव उन्हें 15 से 20 बार बैंक भेज चुका है. सचिव ने बुजुर्ग को हर बार यह कहते हुए लौटा दिया कि उनके आवास निर्माण का पैसा ही बैंक खाते में नहीं आया है. वहीं बैंक जाने पर अधिकारी पैसे नहीं आने की बात कहकह उन्हें फटकार लगा देते हैं. यह पहली बार नहीं है जब पीएम आवास योजना को लेकर लापरवाही देखने को मिली है. कई बार प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से आवास निर्माण को लेकर लोग परेशान होते रहे हैं. कई लोगों का घर आधा बना है तो कई के आशियाने अधूरे हैं, लेकिन किसी भी जिम्मेदार को इन परेशानियों से शायद फर्क नहीं पड़ता.

बुजुर्ग दंपति

ETV भारत के माध्यम से मांगी मदद

पीड़ित का कहना है कि पंडो आदिवासियों की कोई सुनता नहीं. वह बुजुर्ग हैं और ज्यादा कहीं आना-जाना नहीं कर सकते. बुजुर्ग ने ETV भारत के माध्यम से सूरजपुर कलेक्टर से मदद की गुहार लगाई है. उन्होंने कहा कि जल्द ही उन्हें योजना का लाभ दिया जाए.

अधिकारी ने बताई वजह

इस संबंध में अधिकारी महेंद्र कुशवाहा ने फोन पर बात कर जानकारी दी कि 2019 में प्रधानमंत्री आवास निर्माण के अंतर्गत आदिवासी वर्ग का टारगेट पूरा कर लिया गया था इसलिए समारू पंडो का नाम इसमें शामिल नहीं किया जा सका.

अब सवाल ये है कि जब समारू को दो साल पहले स्वीकृति पत्र दे दिया गया था, तो अब तक उसे घर क्यों नहीं मिला. उसके आवास के लिए पैसे क्यों नहीं आए. अधिकारी का ये जवाब लापरवाही के तरफ इशारा करता है. गरीब बुजुर्ग दंपति किसी तरह कच्चे मकान में दिन काट रहे हैं, उन्हें अभी भी उम्मीद है कि शासन-प्रशासन से मदद मिलेगी.

ABOUT THE AUTHOR

...view details