सूरजपुर: केरल के मल्लापुरम में गर्भवती हथिनी की बर्बर मौत के बाद छत्तीसगढ़ में भी मादा हाथियों की मौत का सिलसिला शुरू हो गया है. सूरजपुर जिले के प्रतापपुर रेंज में 24 घंटे के अंदर दो हथिनियों की मौत ने वन विभाग के सुरक्षा को लेकर किए जा रहे दावों पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं. वहीं महीनेभर के अंदर हथिनियों की मौत की ये तीसरी घटना है.
मृत हथिनी के पास जमा हुआ हाथियों का दल मृत मादा हथिनी के पास जमा हुए दूसरे हाथी, वन विभाग नहीं करा सका पोस्टमॉर्टम
बुधवार को मादा हथिनी की मौत प्रतापपुर फॉरेस्ट रेंज में उसी जगह पर हुई, जहां मंगलवार को गर्भवती हथिनी की मौत हुई थी. मृत हथिनी के शव के पास उसके छोटे शावक और प्यारे दल के 16 सदस्य डेरा जमाए हुए हैं. जिससे घटनास्थल तक कोई भी नहीं पहुंच सका है. इस वजह से वन विभाग मृत मादा हथिनी का पोस्टमॉर्टम नहीं करा सका है. प्रतापपुर वन अमला घटनास्थल के आसपास मौजूद है और बैरिकेड लगाकर लोगों को हाथियों की मौजूदगी की सूचना दे रहा है.
रायपुर से पहुंची विशेषज्ञों की टीम
रायपुर से विशेषज्ञों की टीम प्रतापपुर पहुंची है, जिसमें डॉग स्क्वॉड, ड्रोन कैमरे, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और अन्य तकनीकों के माध्यम से पता लगाया जाएगा कि हथिनियों की लगातार मौत कैसे हो रही है.
24 घंटे के अंदर दो हथिनियों की मौत
मंगलवार को प्रतापपुर वन परिक्षेत्र के गणेशपुर जंगल में हुई गर्भवती हथिनी की मौत को वन विभाग ने लंबी बीमारी का नाम देकर मामले से पल्ला झाड़ लिया है. वन विभाग के DFO जेआर भगत के मुताबिक गर्भवती हथिनी काफी लंबे समय से बीमार थी और इसी बीमारी के कारण ही उसकी मौत हुई है. वहीं वन विभाग के अधिकारी जंगल में दूषित पानी को भी हथिनियों की मौत का कारण मान रहे हैं.
सुर्खियों में रहने वाला प्रतापपुर वन परिक्षेत्र
हाथियों और इंसानों के बीच जंग को लेकर सुर्खियों में रहने वाला प्रतापपुर फॉरेस्ट रेंज इस बार हथिनियों की मौत को लेकर सुर्खियों में है. 24 घंटे के अंदर दो हथिनियों की मौत जिसमें से एक गर्भवती भी थी, इसने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. बता दें कि इससे पहले भी करंजवार के जंगल में लगभग 40 दिन पुरानी हथिनी की सड़ी-गली लाश मिली थी.