सुकमा: जिले का एकमात्र इको पर्यटन केंद्र तुंगल जलाशय इन दिनों बर्बादी की कगार पर है. जलाशय के सौन्दर्यीकरण पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी यहां सुविधाओं का अभाव है. समुचित सुविधाएं नहीं मिलने से पर्यटकों को निराश होना पड़ता है.
बर्बादी की कगार पर तुंगल जलाशय बता दें कि तत्कालीन सुकमा कलेक्टर नीरज बंसल ने पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ क्षेत्र के युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए एक अभिनव पहल की थी, जिसके लिए साल 2016 में तुंगल जलाशय को इको पर्यटन केंद्र के रूप में डेवलप किया गया. साथ ही युवाओं का समूह बनाकर जलाशय की देखरेख की जिम्मेदारी सौंपी गई. इतना ही नहीं नाव खरीदी के नाम पर स्वच्छता समूह को 35 लाख रुपए का लोन भी दिया गया, लेकिन वन विभाग की उदासीनता के कारण न तो जलाशय विकसित हो सका और न ही युवाओं को रोजगार मिला. इन दिनों स्व सहायता समूह के सामने आर्थिक तंगी की समस्या उत्पन्न हो गई है.
24 लाख रुपए में घटिया मोटरबोट
पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए वन विभाग ने तुंगल जलाशय में वोटिंग की व्यवस्था की थी. नौका विहार के लिए कोलकाता और जगदलपुर से 24 लाख रुपए खर्च कर आठ सीटर के दो मोटरबोट और दो रिलीफ मोटरबोट खरीदे गए थे, लेकिन कुछ ही दिनों में यह मोटरबोट क्षतिग्रस्त हो गए. इको सेंटर में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा पक्षी एमु पाला गया था, जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र था, कभी इनकी संख्या 10 हुआ करती थी, लेकिन सही देखभाल नहीं होने के कारण अधिकांश पक्षियों की मौत हो गई. इन पक्षियों के लिए वन विभाग ने किसी भी तरह की व्यवस्था नहीं की.
प्रस्ताव भेजा है : कलेक्टर
सुकमा कलेक्टर चंदन कुमार ने बताया कि जलाशय को विकसित करने के लिए नया प्रपोजल भेजा गया है. स्वीकृति मिलते ही जैव विविधता पर यहां काम कराया जाएगा. आगामी समय में सुकमा पर्यटन स्थल के रूप में पहचान बनाएगा.