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Electricity Service Restored : सुकमा में 25 साल बाद जगमग हुए नक्सल प्रभावित सात गांव, ऐसे बिजली सेवा हुई बहाल - सिंगनपाड़ और डोकपाड़

Electricity Service Restored सुकमा जिले के धुर नक्सल प्रभावित सात गांवों में पच्चीस साल बाद विद्युत सेवा बहाल हो पाई है.इन गांवों में नक्सली खौफ के कारण प्रशासनिक कार्यों को गति नहीं मिल सकी थी.यही वजह थी कि बुनियादी सुविधाओं के साथ इन गांवोंं में बिजली की आपूर्ति पिछले दो दशकों से ठप थी.लेकिन पुलिस कैंप की स्थापना और प्रशासन की मेहनत के कारण ये नक्सल प्रभावित सात गांव अब रात में जगमगा रहे हैं. Naxal affected seven villages

Electricity service restored in seven villages of Sukma
25 साल बाद जगमग हुए नक्सल प्रभावित सात गांव

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Sep 22, 2023, 4:13 PM IST

सुकमा : राजधानी रायपुर से 400 किमी दूर सुकमा जिले के सात गांवों में 25 साल बाद बिजली आई है. इन सात गांवों को नक्सली दंश के कारण बिजली से वंचित होना पड़ा था.1990 के दौरान इन गांवों में बिजली की कनेक्टिविटी थी.लेकिन नक्सलियों ने गांवों के पास मौजूद ग्रिड लाइन और बिजली के खंबों को नुकसान पहुंचाया.इसके बात इन क्षेत्रों में नक्सली आतंक इतना बढ़ा कि किसी भी सरकार ने दोबारा इन गांवों में बिजली सेवा बहाल करने की कोशिश नहीं की.लेकिन बीते दिनों इन सात गांवों के निवासियों को 25 साल बाद फिर से बिजली की सुविधा मिल गई.

कितने परिवार हुए लाभांवित :इन सात गांवों में 342 परिवार रहते हैं. जिनमें से कुछ के पास बिजली को लेकर सिर्फ सोलर एनर्जी का ही विकल्प था.सोलर एनर्जी के कुछ घरों में बिजली तो थी, लेकिन मौसम खराब होने और मेंटनेंस के अभाव में ये सुविधा भी कुछ महीनों बाद ठप हो गई.इसके बाद से ही ग्रामीण बिजली को तरस रहे थे. सुकमा कलेक्टर हरिस एस के मुताबिक सात गांवों डब्बाकोंटा, पिडमेल, एकलगुडा, दुरामंगु, तुम्बांगु, सिंगनपाड़ और डोकपाड़ में बिजली की सुविधा पहुंचाई गई है.

''सरकार और प्रशासन लोगों, विशेषकर अंतिम व्यक्ति तक राशन, बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने और यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उन तक पहुंचे.सात गांवों में विद्युतीकरण से लगभग 342 परिवार लाभान्वित हुए हैं'': हरिस एस, कलेक्टर, सुकमा

पुलिस कैंप से मिली बड़ी मदद :इस क्षेत्र में कई गांवों को अब भी बिजली का इंतजार है.जिसके लिए सरकार की मदद से प्रशासन युद्ध स्तर पर काम कर रहा है.सुरक्षा के लिहाज से भी इस क्षेत्र में बिजली की काफी ज्यादा जरुरत थी. बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने कहा कि नक्सली क्षेत्र में छह पुलिस शिविर स्थापित करने से दूरदराज के क्षेत्रों में विकास को गति मिली है. पिडमेल, दुब्बाकोंटा, टोंडामरका, दुब्बामरका, एल्मागुंडा, कर्रिगुंडम में पुलिस शिविरों की स्थापना के बाद, ग्रामीणों को अब उनकी बुनियादी सुविधाएं और सुविधाएं वापस मिल रही हैं.

''1990 के दशक के अंत तक इन गांवों में बिजली कनेक्टिविटी थी.नक्सलियों ने बिजली के खंबों और बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाया, जिसके कारण ग्रामीण लगभग 25 वर्षों तक नियमित बिजली आपूर्ति से वंचित रहे.'' सुंदरराज पी,आईजी बस्तर रेंज

सड़क बनने से विकास कार्यों में आई तेजी :सुंदरराज पी के मुताबिक डुब्बाकोंटा और पिडमेल भेजी-चिंतागुफा के कोने में है. दुब्बाकोंटा और पिडमेल दोनों ही जगहों पर पुलिस कैंप हैं. आरआरपी (सड़क आवश्यकता संयंत्र)-1 योजना के तहत ब्लैक-टॉप सड़क भी तेज गति से बनाई जा रही है.जिसके बाद उन गांवों तक भी कनेक्टिविटी हो जाएगी जहां पर कच्ची सड़क के कारण सुविधाएं नहीं पहुंच पाई थी.

नक्सल प्रभावित क्षेत्र के लोगों के लिए मुफ्त इलाज की सुविधा
वैक्सीनेशन के लिए धुर नक्सल क्षेत्र में नाव से पहुंची मेडिकल टीम
नक्सल प्रभावित गांव में 14 साल बाद भी नहीं बना आंगनबाड़ी भवन

बिजली सुविधा पहुंचाना कठिन काम :सुकमा में बिजली विभाग के कार्यकारी अभियंता जोसेफ केरकेट्टा के मुताबिक भौगोलिक स्थिति और नक्सलियों की मौजूदगी के कारण सात गांवों में बिजली लाइन बिछाना एक कठिन काम था. विद्युत सामग्री को चिन्हित स्थल तक पहुंचाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य था. ये सभी गांव घने जंगलों के बीच हैं. कई गांव अत्यधिक संवेदनशील इलाकों में हैं. इस क्षेत्र में श्रमिकों की उपलब्धता कठिन है. जिला प्रशासन के लगातार प्रयास से यह संभव हो पाया है. आज यहां के ग्रामीण अंधकार से मुक्ति का जश्न मना रहे हैं.

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