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हर हर महादेवः नदी के बीच स्थित है लेकिन कभी नहीं डूबता ये शिवलिंग - सुकमा शिवलिंग

जिला मुख्यालय से 7 किमी दूर स्थित तेलावर्ती क्षेत्र आस्था का बड़ा केंद्र है. यहां शबरी नदी के बीच स्थित शिवलिंग के दर्शन करने भक्त सात धार को पार कर पहुंचते हैं. मान्यता है कि नदी के मध्य में स्थित होने के बाद भी ये शिवलिंग कभी डूबता नहीं है.

हर हर महादेव
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Published : Feb 17, 2020, 3:39 PM IST

Updated : Feb 17, 2020, 4:06 PM IST

सुकमा: गंगा को अपने शीश पर धारण करने वाले शिव और मां पार्वती की शादी की रात यानी महाशिवरात्रि का पर्व इस साल शुक्रवार 21 फरवरी को मनाया जा रहा है. भारत में भगवान शिव के कई ऐसे मंदिर हैं जो रहस्यों से भरे हैं, छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में भी एक ऐसा ही शिवलिंग मौजूद है.

हर हर महादेव

जिला मुख्यालय से 7 किमी दूर स्थित तेलावर्ती क्षेत्र आस्था का बड़ा केंद्र है. यहां शबरी नदी के बीच स्थित शिवलिंग के दर्शन करने भक्त सात धार को पार कर पहुंचते हैं. मान्यता है कि नदी के मध्य होने के बाद भी ये शिवलिंग कभी डूबता नहीं है. भले ही नदी में बाढ़ आ जाए शिवलिंग जस का तस बना रहता है. लोग बताते हैं कि नदी में बाढ़ आ जाने पर भी मंदिर का एक सामान नहीं बहता है.

बड़ी संख्या में लोग लकड़ी के गोले और बल्लियों के सहारे अपनी जान जोखिम में डालकर इस शिवलिंग के दर्शन करने पहुंचते हैं. यहां हर साल धूमधाम से शिवरात्रि मनाया जाता है. नदी के बीचों बीच स्थित शिवलिंग तक भक्तों को पहुंचने में ज्यादा परेशानी न हो इसके लिए शबरी नदी पर जगह-जगह बड़े-बड़े लकड़ी के गोले, पत्थर और बल्लियां आदि डालकर रास्ता बनाया जाता है. साथ ही भक्तों के लिए पानी और अन्य खाद्य सामग्री की व्यवस्था भी की जाती है.

मंदिर का इतिहास

सुकमा रियासत काल से ही इस मंदिर का अस्तित्व है. कहा जाता है कि 1300 इसवीं में मराठा राजाओं और पेशवाओं के अत्याचारों से बचने के लिए सुकमा रियासत कालीन राजा सुरक्षित ठिकाने की तलाश में घूम रहे थे. इस दौरान परिवार का एक समूह जिसमें पति-पत्नी और उनका एक बेटा नाव पर सवार होकर नदी के उस पार जा रहे थे. जब वे नदी के बीचोंबीच पहुंचे तब उनकी नाव नदी के भंवर में फंस गई और एक स्वर्ग दूत उनके सामने प्रकट हुआ. दूत ने उन्हें सुरक्षित पार होने के लिए बलिदान करने के लिए कहा. पिता ने खुद के बलिदान की पेशकश की लेकिन उनके लड़के ने इसे मानने से मना कर दिया और वो बालक खुद ही नदी में कूद गया.

मुनिपुत्ता के नाम से जाना जाता है

जिस स्थान पर लड़का नदी में कूदा था उसे अभी भी मुनिपुत्ता के नाम से जाना जाता है. जो कि ग्राम तेलवर्ती में नदी के बीच एक द्वीप की तरह दिखाई देता है. इस स्थान पर लकड़ी के चप्पल और त्रिशूल दिखाई देते हैं. शिवरात्रि और मकर संक्रांति के दौरान यहां बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं. ऐसा माना जाता है कि यह द्वीप अब तक कभी भी बाढ़ में नहीं डूबा है. यह भी माना जाता है कि अगर यह द्वीप नदी में डूब जाता है तो बड़ा हादसा होगा.

Last Updated : Feb 17, 2020, 4:06 PM IST

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