सुकमा: गंगा को अपने शीश पर धारण करने वाले शिव और मां पार्वती की शादी की रात यानी महाशिवरात्रि का पर्व इस साल शुक्रवार 21 फरवरी को मनाया जा रहा है. भारत में भगवान शिव के कई ऐसे मंदिर हैं जो रहस्यों से भरे हैं, छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में भी एक ऐसा ही शिवलिंग मौजूद है.
जिला मुख्यालय से 7 किमी दूर स्थित तेलावर्ती क्षेत्र आस्था का बड़ा केंद्र है. यहां शबरी नदी के बीच स्थित शिवलिंग के दर्शन करने भक्त सात धार को पार कर पहुंचते हैं. मान्यता है कि नदी के मध्य होने के बाद भी ये शिवलिंग कभी डूबता नहीं है. भले ही नदी में बाढ़ आ जाए शिवलिंग जस का तस बना रहता है. लोग बताते हैं कि नदी में बाढ़ आ जाने पर भी मंदिर का एक सामान नहीं बहता है.
बड़ी संख्या में लोग लकड़ी के गोले और बल्लियों के सहारे अपनी जान जोखिम में डालकर इस शिवलिंग के दर्शन करने पहुंचते हैं. यहां हर साल धूमधाम से शिवरात्रि मनाया जाता है. नदी के बीचों बीच स्थित शिवलिंग तक भक्तों को पहुंचने में ज्यादा परेशानी न हो इसके लिए शबरी नदी पर जगह-जगह बड़े-बड़े लकड़ी के गोले, पत्थर और बल्लियां आदि डालकर रास्ता बनाया जाता है. साथ ही भक्तों के लिए पानी और अन्य खाद्य सामग्री की व्यवस्था भी की जाती है.