सुकमा: सुकमा साक्षर जिलों की लिस्ट में निचले पायदान पर है. छत्तीसगढ़ में शिक्षा का हाल किसी से छुपा नहीं हालांकि नीति आयोग कि सूची में प्रदेश ने देश के सभी राज्यों में 12वां स्थान हासिल किया है. नक्सल प्रभावित सुकमा से हमेशा स्कूलों की बदहाल की खबरें देखने को मिलती हैं लेकिन आज हम आशा की किरण लेकर आई एक तस्वीर आप तक पहुंचाएंगे.
रामपाल के डब्बा रास में संचालित प्राथमिक शाला पटेल पारा में पदस्थ प्रधान पाठक हीरामन ओटी ने अनूठी और तारीफ के काबिल पहल की है. टीचर की इस पहल से न सिर्फ एक बेरोजगार युवती को रोजगार मिला है बल्कि बच्चों को शिक्षिका भी मिल गई है. हीरामन ओटी ने प्राथमिक शाला में अपने खर्चे पर शिक्षिका वैजयंती कश्यप की नियुक्ति की है. प्रधान पाठक की इस पहल को ग्रामीण सराह रहे हैं.
प्रधान पाठक की एक नेक पहल मिड-डे मील के बाद हो जाती थी छुट्टी
प्राथमिक शाला पटेल पारा में 25 से ज्यादा छात्र छात्राएं पढ़ रही हैं. हालांकि आरटीई के नियमों के तहत स्कूल में 30 बच्चों पर एक शिक्षक की नियुक्ति शिक्षा विभाग ने जरूर की है. महीने में 1 सप्ताह शिक्षक विभागीय कार्य में व्यस्तता के चलते स्कूल से बाहर रहते हैं. ऐसे में बच्चों को मध्यान्ह भोजन खिलाकर स्कूल की छुट्टी कर दी जाती थी.
विभागीय कार्यो के चलते नहीं ले पाते है क्लास
प्राथमिक शाला में एक ही शिक्षक होने की वजह से बच्चों की शिक्षा प्रभावित होती थी. प्रभारी प्रधान पाठक पर बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ कार्यालयीन कार्य एवं अन्य प्रशासनिक कार्यों को पूरा करने की जिम्मेदारी भी है. व्यस्त होने के कारण अधिकांश समय वे बीईओ कार्यालय के चक्कर काटते रहते हैं. इस दौरान स्कूल में पढ़ाई पूरी तरह से ठप हो जाती थी.
हर महीने वेतन से देते हैं 12 सौ रुपये
वैजयंती कश्यप गरीब परिवार से हैं. 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उसने स्कूल छोड़ दिया था और घर में रहते अपने माता-पिता के काम में हाथ बंटा रही थी. जिसे प्रधान पाठक हीरामन ओटी ने पहली और दूसरी कक्षा के बच्चों को पढ़ाने के लिए नियुक्त किया है. जिसके लिए वे हर महीने अपने खर्चे से वेतन देते हैं.
स्कूल की इस व्यवस्था पर शाला शिक्षा समिति के उपाध्यक्ष माडा सोडी ने बताया कि एकमात्र शिक्षक होने के कारण स्कूल की शिक्षा प्रभावित होती थी. आज स्कूल में गांव की युवती बच्चों को पढ़ा रही है. जिससे शिक्षक को सहूलियत ही नहीं बल्कि बच्चों की शिक्षा प्रभावित नहीं हो रही है.
प्रधान पाठक ने तो अपने हिस्से की जिम्मेदारी पूरी कर दी है. जरूरत है कि सरकार ऐसे बेरोजगार युवक-युवतियों के बेहतर भविष्य के लिए नौकरी के साधन उपलब्ध कराए, साथ ही शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने पर भी ध्यान दे.