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ताड़मेटला नक्सली हमले में शहीद हुए थे बिहार के प्रकाश कुमार, परिवार का छलका दर्द - Prakash Kumar of Motihari was martyred

आज से 11 साल पहले 6 अप्रैल 2010 को देश का सबसे बड़ा नक्सली हमला हुआ था छत्तीसगढ़ के सुकमा के ताड़मेटला में. इस नक्सल हमले में CRPF के 76 जवानों ने अपनी शहादत दी थी. इन्हीं में से एक थे बिहार के मोतिहारी के रहने वाले प्रकाश कुमार. आज भी उनके परिवार का दर्द छलक उठता है. उनकी दोनों बेटियों की आंखों में आंसू आ जाते हैं. आइए हम आपको मिलवाते हैं शहीद जवान प्रकाश कुमार के परिवार से..

Shaheed Jawan Prakash Kumar
शहीद जवान प्रकाश कुमार

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Published : Apr 8, 2021, 7:12 AM IST

मोतिहारी, बिहार: 6 अप्रैल 2010 का वो मनहूस दिन, जिस दिन नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ के सुकमा में ताड़मेटला कांड की कायराना करतूत को अंजाम दिया था. आज से ठीक 11 साल पहले देश का सबसे बड़ा नक्सली हमला सुकमा के ताड़मेटला में हुआ था, जिसमें सीआरपीएफ की 62वीं बटालियन के 76 जवान शहीद हो गए थे. हमले में बचे जवानों ने बताया था कि उन लोगों को करीब 1000 नक्सलियों ने घेर लिया था, वहीं जवानों की संख्या 150 के करीब थी. मुठभेड़ में 76 जवान शहीद हुए, जिसमें बिहार के मोतिहारी के रहने वाले प्रकाश कुमार भी शामिल थे.

ताड़मेटला नक्सली हमले में शहीद प्रकाश कुमार के परिवार का दर्द

शहीद जवानों में 6 थे बिहार के रहने वाले

2010 में हुए ताड़मेटला नक्सली हमले में शहीद होने वाले जवानों में से 6 बिहार के रहने वाले थे. इनमें मोतिहारी के रहने वाले बटालियन के इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी प्रकाश कुमार भी शहीद हुए थे. आज घटना के 11 साल बीत जाने के बाद भी उनकी दोनों बेटियों को अपने पिता के आने का इंतजार है, क्योंकि प्रकाश कुमार की शहादत के समय उनकी बड़ी बेटी अनुष्का मात्र डेढ़ वर्ष की थी और छोटी बेटी आस्था अपनी मां के गर्भ में पल रही थी.

अपने साथियों के साथ प्रकाश कुमार

शहीद के पिता को समाज से शिकायतें

पांच भाई-बहनों में सबसे बड़े शहीद प्रकाश के पिता ईश्वर राय स्वास्थ्य विभाग से रिटायर हुए हैं. उन्होंने बताया कि सरकार ने उन्हें बहुत कुछ दिया है. विभाग के लोग भी परिवार की खोज-खबर लेते रहते हैं. ईश्वर राय को अपने शहीद बेटे पर गर्व है, लेकिन उन्हें समाज के लोगों से शिकायत है. उनका कहना है कि समाज के लोगों ने प्रकाश को भुला दिया है. वे कहते हैं कि लोग प्रकाश कुमार की शहादत की अपने ढंग से व्याख्या करते हैं, जिसका उन्हें दुःख होता है.

शहीद प्रकाश कुमार के पिता

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नहीं मिल रहा है बेटियों की पढ़ाई का खर्च

इधर शहीद प्रकाश कुमार की पत्नी ऋतु कुमारी की आंखें अपने पति को याद करके नम हो जाती हैं. वे बताती हैं कि सरकार अपनी घोषणा के अनुसार सबकुछ दे रही है, लेकिन बच्चे की पढ़ाई का खर्च नहीं मिल रहा है. उन्होंने बताया कि उनकी दोनों बेटियां पिता के बारे में हमेशा पूछती हैं, जिन्हें काफी कठिनाई से समझाना पड़ता है.

शहीद जवान प्रकाश कुमार की पत्नी और बेटियां
बेटियों ने केवल तस्वीरों में देखा है पिता कोशहीद प्रकाश कुमार की दोनों बेटियों ने केवल तस्वीरों में ही अपने पिता को देखा है. प्रकाश कुमार की दोनों बेटियां पिता का जिक्र होते ही भावुक हो जाती हैं. रुंधे गले से दोनों पढ़-लिखकर देश और समाज की सेवा करने की बात करती हैं. बड़ी बेटी अनुष्का सातवीं क्लास में पढ़ती हैं और छोटी बेटी आस्था छठी क्लास में पढ़ती हैं. अनुष्का डॉक्टर बनना चाहती हैं और आस्था प्रशासनिक सेवा में जाने की बात कहती हैं.
शहीद जवान प्रकाश कुमार की दोनों बेटियां

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साल 2005 में प्रकाश कुमार ने सीआरपीएफ ज्वाइन किया था

शहीद प्रकाश कुमार का जन्म 7 दिसंबर 1977 को हुआ था. बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के प्रकाश कुमार ने वर्ष 2004 में दारोगा का पीटी पास किया था. आरपीएफ की परीक्षा भी उन्होंने कम्पलीट की थी, लेकिन वर्ष 2005 में सीआरपीएफ का ज्वाइनिंग लेटर पहले आने पर उन्होंने उसकी 62वीं बटालियन में इंस्पेक्टर के पद पर ज्वाइन किया. वर्ष 2007 में प्रकाश कुमार की शादी ऋतु कुमारी के साथ हुई थी. ऋतु कुमारी से हुई शादी के मौके पर जीवनभर का साथ निभाने का उनका वादा नक्सलियों के कायराना हमले के कारण 6 अप्रैल 2010 को टूट गया. नक्सलियों ने जाल बिछाकर उनकी टुकड़ी पर अल सुबह हमला किया था. जिस हमले में शहीद हुए 76 सीआरपीएफ के जवानों में मोतिहारी के लाल प्रकाश कुमार भी थे. ईटीवी भारत जवान प्रकाश कुमार की शहादत को सलाम करता है.

शहीद प्रकाश शौर्य द्वार

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