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नक्सलियों का ग्रामीणों की पिटाई कराने का आरोप - Bechapal mass movement

नक्सलियों ने बेचापाल जन आंदोलन कर रहे ग्रामीणों पर हमले का आरोप लगाया है.

नक्सली
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Published : Jun 1, 2022, 1:22 PM IST

सुकमा:नक्सलियों की पश्चिम बस्तर डिवीजनल कमेटी ने एक प्रेस नोट जारी कर कई सवाल उठाए हैं. नक्सलियों ने सुरक्षाबलों के ऊपर बेचापाल में शांतिपूर्ण तरीके से जन आंदोलन कर रहे आंदोलनकारियों पर हमला करने का आरोप लगाया है. नक्सलियों ने यह भी आरोप लगाया है कि एक तरफ प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शांति वार्ता को लेकर संविधान पर विश्वास जताने की बात कह रहे हैं, वहीं असंवैधानिक रूप से शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे ग्रामीणों की पिटाई भी सरकार करवा रही है.

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नक्सलियों ने प्रेस नोट जारी कर आरोप लगाया है कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल बस्तर संभाग में पिछले ढाई सालों से जारी शांतिपूर्ण आंदोलन पर हमले किए जा रहे हैं. आदिवासी जनता की जायज मांगों का समाधान करने के बजाए उनका दमन किया जा रहा है. बेचापाल कैंप विरोध जन आंदोलन पर अबतक चार बार हमला कर सरकारी सशस्त्र बलों ने सौ से ज्यादा लोगों को घायल किया है. इनमें कई लोगों की हालत गंभीर है. जन आंदोलन पर हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार ने पाबंदी लगाकर यह साबित कर दिया है कि उसने केंद्र की भाजपा सरकार के ही नक्शेकदम पर चलने की ठान ली है.

नक्सलियों का यह भी आरोप है कि उनके साथ वार्ता के लिए भारत के संविधान पर विश्वास जताने की शर्त रखने वाले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल किस संवैधानिक अधिकार के तहत शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन करने वाले आदिवासी ग्रामीणों की बेदम पिटाई करवा रहे हैं? आदिवासियों को मिले संवैधानिक अधिकारों का खुलेआम उल्लंघन क्यों कर रहे हैं? ग्राम सभाओं की अनुमति के बगैर ही धड़ल्ले से पुलिस और अर्ध सैनिक बलों के कैंप क्यों खोले जा रहे हैं? सड़कों और पुल-पुलियाओं और मोबाइल टावरों का निर्माण क्यों किया जा रहा है?

ड्रोनों के जरिए बमबारी क्यों की जा रही है? भारत के संविधान के अनुसार मुख्यमंत्री बनने का दावा करने वाले भूपेश बघेल उसकी धज्जियां क्यों उड़ा रहे हैं? दरअसल भाजपा, कांग्रेस पार्टियों को ही संविधान पर विश्वास नहीं है. संविधान की मूल भावना को ही खत्म करने पर भाजपा तुली हुई है तो कांग्रेस का इतिहास उसका मजाक उड़ाने का रहा है. हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब नक्सलियों ने इस तरह के आरोप लगाए हैं. नक्सली बार-बार पर्चा फेंककर विरोध जताते रहते हैं.

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