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Baster: नक्सलवाद के खिलाफ ड्रोन अटैक, बीजापुर और सुकमा में आसमान से बरसे बम - ड्रोन से हमला

बस्तर में नक्सलवाद अब भी नासूर की तरह है.नक्सलियों के खात्मे के लिये फोर्स कई अभियान चलाती है.लेकिन नक्सली वारदातों में कमी नहीं होती. जमीन की लड़ाई के साथ अब फोर्स टेक्नोलॉजी का सहारा लेकर नक्सलियों पर नकेल लगाने की कोशिश कर रही है.इसके लिए नक्सलियों पर फोर्स ड्रोन से हमला कर रही है.एक बार फिर नक्सली क्षेत्र में ड्रोन से हमले की जानकारी मिली है.

Force attacked Naxalites with drone in bijapur
टेक्नोलॉजी का सहारा लेकर नक्सलियों पर नकेल

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Published : Apr 11, 2023, 12:39 PM IST

सुकमा :बस्तर में नक्सलियों के सफाए के लिए अब फोर्स ड्रोन अटैक की मदद ले रही है. बीजापुर और सुकमा के सुदूर नक्सल प्रभावित इलाके में बीते दिनों ड्रोन से हवाई हमले की पुष्टि हुई है. शुक्रवार को नक्सलियों के दक्षिण बस्तर सब जोनल ब्यूरो की प्रवक्ता समता ने प्रेस नोट जारी कर हवाई बमबारी का दावा किया.नक्सलियों ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के दौरे को इस हमले से जोड़कर देखा है. बीते महीने अमित शाह ने बस्तर दौरे में नक्सलियों के खात्मे की तैयारी अंतिम चरण में होने का दावा किया था. जिसके बाद से ही ड्रोन हमलों में इजाफा हुआ है.

कहां हुआ ड्रोन अटैक : ग्रामीणों की माने तो बीते सप्ताह शुक्रवार सुबह जब्बागट्टा, मीनागट्टा, कवरगट्टा, भट्टिगुड़ा गांव के मोरकोमेट्टा पहाड़ी में यह ड्रोन से हमला किया गया. ग्रामीणों के अनुसार सुबह करीब छह बजे पहली बमबारी हुई. फिर 5-5 मिनट के अंतराल में लगातार ड्रोन से बम दागे गए. इसके बाद हेलीकॉप्टर से गोलीबारी हुई. ग्रामीणों का कहना है कि बीते 3 साल में 4 बार ड्रोन से हमला किया गया है.एक बार फिर ये हमले हुए हैं. इस तरह के हमले से सभी ग्रामीण आदिवासी डरे हुए हैं. यह ड्रोन हमला कब तक जारी रहेगा इसका जिम्मेदार कौन है.इस बात का जवाब ग्रामीण मांग रहे हैं.

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ईटीवी ने इलाके का किया दौरा :सुकमा और बीजापुर जिले की सरहद पर नक्सलियों के बाद ग्रामीणों ने भी हवाई हमले का आरोप लगाया है. साक्ष्य के तौर पर ग्रामीणों ने बमों के अवशेष को दिखाते हुए विरोध जताया है. ग्रामीणों ने बताया कि ड्रोन से हमले के बाद हेलीकॉप्टर से भी फायरिंग हुई. ग्रामीण खुद को बचाने अपने-अपने घरों की तरफ भागने लगे. इस दौरान कई ग्रामीण घायल हुए हैं. जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं. ग्रामीणों के मुताबिक उनका जीवनयापन खेती और वनोपज पर निर्भर है. इसके लिए उन्हें जंगल में जाना पड़ता है,लेकिन अब इस तरह के हमलों से उन्हें जान का खतरा है.

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