सुकमा : जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर बुड़दी से कमलापदर तक प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत सड़कें बनाई गई थी, जो अब पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है, जिससे लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
सुकमा : भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ीं PMGSY की सड़कें
सुकमा: जिले में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनीं सड़कें भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है. नक्सल प्रभावित इलाके की जर्जर सड़क लोगों के राहत से ज्यादा मुसीबत दे रही है. इलाके की कई सड़कें पूर्ण निर्माण से ही पहले ही उखड़ने लगी हैं.
इसी साल मई महीने में बुड़दी से कमलापदर तक करीब 1 करोड़ 80 लाख रुपए की लागत से 6 किलोमीटर लंबी सड़क निर्माण कराया गया था. निर्माण के 5 महीने बाद ही सड़क जर्जर हो चुकी है. सड़क में जगह-जगह बड़े-बड़े गड्ढे हो गई है, जिससे राहगीरों का चलना भी दूभर हो गया है. गांव के लोग कुछ महीनों पहले तक काफी खुश थे, क्योंकि लंबे इंतजार के बाद उन्हें सड़क मिलने वाली थी, लेकिन यह खुशी ज्यादा दिन नहीं टिकी. ठेकेदार ने सड़क में ऐसा भ्रष्टाचार किया कि निर्माण के 5 महीनों के अंदर ही सड़क से डामर बह गया और सिर्फ गिट्टी और गड्ढे ही बचे रह गए. खस्ताहाल और कच्ची सड़क की वजह से गांव तक चार पहिया वाहन नहीं पहुंच पाते हैं. गांव वालों को लगा कि अब उनके घर तक एंबुलेंस पहुंचेगी और अन्य योजनाओं का लाभ उन्हें मिलेगा, लेकिन निर्माण के चंद महीनों में ग्रामीणों की खुशियां मायूसी में बदल गई. गांव में एंबुलेंस तो दूर दो पहिया वाहन भी बड़ी मुश्किल से पहुंच पाता है.
तीन चरणों में होती है सड़कों की जांच
पीएमजीएसवाई की सड़कों की गुणवत्ता की जांच तीन चरणों में की जाती है. स्थानीय अधिकारियों के साथ एसक्यूएम यानी कि स्टेट क्वालिटी मॉनिटर और एनक्यूएम यानी नेशनल क्वालिटी मॉनिटर भी समय-समय पर सड़कों की जांच करते रहते हैं. सड़क का बेस, डामर की क्वालिटी और सड़क के अगल-बगल में छोड़े गए सोल्डर की हर पैमाने पर जांच की जाती है. इसके बाद ही सड़क को ओके कर ठेकेदार को भुगतान किया जाता है, लेकिन सुकमा जिले में पीएमजीएसवाई के अधिकारियों ने ऐसा खेल किया कि जिले के गुट्टागुड़ा, निर्गुन्डीपारा और कमला पदर समेत एक दर्जन से ज्यादा सड़कें पहली बारिश में ही जगह-जगह धंस गई है.