सुकमा: 15 साल तक विकास का दावा करने वाली, पिछले 10 महीने से खुद को छत्तीसगढ़िया और लोगों की हैतषी बताने वाली सरकारें ये तस्वीरें देखें और शर्मिंदा हों. आपकी बहाई विकास की गंगा का हाल ये है कि जिंदा लोग तो सुविधाओं को तरस ही रहे हैं, मुर्दों को भी चिता की आग मुश्किलों के बाद नसीब हो रही है. शव को श्मशान तक लोग घुटने तक पानी में डूब कर ले जाने को मजबूर हैं. जिम्मेदारों ने मुक्तिधाम तो बना दिया लेकिन वहां तक पक्की सड़क बनाना भूल गए.
दोरनापाल को नगर पंचायत का दर्जा बने 10 साल बीत गए लेकिन आज तक यहां के लोग पक्की सड़क के लिए मोहताज हैं. हालत यह है कि श्मशान जाने के लिए कोई रास्ता नहीं है. लोगों को खेतों से श्मशान तक पहुंचना पड़ता है. सामान्य दिनों में तो ठीक है लेकिन बारिश के चार महीने खेतों में घुटनों तक पानी भर जाता है. लोग खेतों में भरे पानी से गुजर कर अर्थी ले जाने को मजबूर हैं.
रविवार को महिला की अर्थी को श्मशान तक ले जाने में परिजनों और रिश्तेदारों को जब कोई रास्ता नहीं मिला तो पानी से भरे खेत के रास्ते कई लोगों की मदद से अर्थी पार कराई गई.
सरकार ने ग्राम पंचायतों को नगर पंचायतों में उन्नयन करने में तो जल्दबाजी दिखाई लेकिन काम में नहीं. यही कारण है कि दोरनापाल को नगर पंचायत का दर्जा मिले करीब 10 साल होने को आया है लेकिन तस्वीरें देख कर कलेजा मुंह को आ जाए.