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Rudrabhishek In Sawan: सावन में शिवजी का रुद्राभिषेक कैसे करें, शिववास क्या होता है, जानिए - Rudrabhishek in Sawan

Rudrabhishek in Sawan: सावन में शिवजी का रुद्राभिषेक करने जा रहे हैं तो, सबसे पहले जान लीजिए की शिववास क्या होता है? आखिर क्यों शिववास में शिवजी का अभिषेक किया जाता है?

rudrabhishek of lord shiva
शिवजी का रुद्राभिषेक

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Published : Jul 5, 2023, 6:36 PM IST

Updated : Aug 7, 2023, 7:53 AM IST

सावन में शिवजी का रुद्राभिषेक

अम्बिकापुर: सावन में शिवजी का रुद्राभिषेक बेहद शुभ होता है. अभिषेक के तरीके अलग-अलग हैं. इनमें रूद्राभिषेक के महत्व धर्म ग्रंथों में बताए गए हैं. आप अपने घर में खुद से कौन सा अभिषेक कर सकते हैं? कैसे और कब शिव अभिषेक करना चाहिए? इस बारे में अधिक जानकारी के लिए ईटीवी भारत ने आचार्य जितेन्द्र तिवारी से बातचीत की.

शिववास में शिवजी का करें अभिषेक: यूं तो मंदिर में कभी भी शिवजी का अभिषेक किया जा सकता है. लेकिन अगर कोई घर में रुद्राभिषेक करने जा रहे हैं तो शिववास में ही रुद्राभिषेक करें. कब शिववास पड़ रहा है, जानने के लिए आप किसी पुजारी से जानकारी ले सकते हैं. शिववास में रुद्राभिषेक करने से काफी लाभ मिलता है. कहते हैं कि शिववास में किया गया रुद्राभिषेक काफी फलदायक होता है.

"रूद्राभिषेक दो प्रकार से होते हैं. एक रूद्र सूक्त से और दूसरा रुद्र अष्टाध्यायी के पाठ से भी किया जाता है. इसमें दूध, दही, घी, मधुरस, शक्कर, फूल, चंदन, चावल, धूप, दीप, नैवेद्य, श्री फल, भस्म, गुलाल, अभ्रक, बेल प्रत्र लगते हैं. इसको अगर आपको खुद से करना है तो श्रृंगी से आप रूद्र सूक्त के पाठ से रुद्राभिषेक कर सकते हैं. अगर आपको रुद्र अष्टाध्यायी करना है तो इसके लिये आपको किसी आचार्य को बुलाना पड़ेगा. स्वयं से करना चाहे तो नित्य कर्म पूजा प्रकाश पुस्तक में रुद्र सूक्त दिया रहता है. आप खुद से भी रुद्राभिषेक कर सकते हैं."-आचार्य जितेंद्र तिवारी

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ऐसे करें शिवजी का अभिषेक:शिवजी को सबसे पहले जल से स्नान कराएं. फिर दूध, दही, घी, मधुरस से बारी-बारी अभिषेक करें. फिर शक्कर और पंचामृत से स्नान कराएं. इसके बाद दिव्य गन्ध से स्नान किया जाता है. इसमें गुलाल, अष्टगंध, भस्म, हल्दी शामिल होता है. हालांकि शिवजी को कुमकुम नहीं चढ़ाया जाता. गन्धों से स्नान के बाद गंगा जल से स्नान किया जाता है. इसके बाद उत्तर पूजा होती है, जिसमें वस्त्र, जनेऊ, गंध, अक्षत, फूल, बेलपत्र 108 नाम से शिव जी के अंग की पूजा होती है और आखिरी में तर्पण होता है और फिर आरती की जाती है.

इस समय करें रुद्राभिषेक:रुद्राभिषेक का समय त्रयोदशी प्रदोष को बताया गया है. लेकिन सावन में आप किसी भी दिन शिवजी का अभिषेक कर सकते हैं. शाम के समय प्रदोष काल में सूर्यास्त से पहले अगर पार्थिव शिवलिंग है, तो उसे सूर्यास्त के पहले विसर्जन करना होता है. अगर नर्मदेश्वर शिवलिंग है तो उसको आप किसी भी समय कर सकते हैं. अभिषेक अगर आपको घर में कराना है तो शिव जी का वास यानी कि शिववास देखना पड़ता है. इसमें तीन तरह का वास होता है. एक शमशान में होता है. एक भूमि और आकाश में. भूमि पर शिव का वास अच्छा माना जाता है.

मंदिर में कभी भी कर सकते हैं अभिषेक:आकाश या शमसान में अभिषेक करना अच्छा नहीं माना जाता है. इसमें तिथि और वार, नक्षत्र का गुणा भाग होता है, जिसमें 1 और शून्य बचे तो शिव का वास भूमि में माना जाता है. 2 या 3 बचे तो शिव का वास आकाश में, शमसान में माना जाता है. ऐसे में घर में अभिषेक नहीं करना करना चाहिये. मंदिर में वास देखने की जरूरत नहीं है क्योंकि वो शिवालय रहता है. वहां, प्रतिष्ठित देवता रहते हैं. शिव जी को सबसे प्रिय बेल पत्र है. बस बेल पत्र भगवान को चढ़ाएं. ऐसा करने से शिवजी की कृपा प्राप्त होती है.

Last Updated : Aug 7, 2023, 7:53 AM IST

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