सरगुजा/अम्बिकापुर:छत्तीसगढ़ का मुकुट कहलाने वाले सरगुजा जिले में 3 विधानसभा सीटें हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में अम्बिकापुर विधानसभा सीट सबसे हाईप्रोफाइल सीट थी. इस सीट से सीएम फेस का चेहरा टीएस सिंहदेव लड़ रहे थे. सिंहदेव राजघराने से ताल्लुक रखते हैं. कांग्रेस से सिंहदेव का नाता काफी पुराना है. साल 2018 विधानसभा चुनाव में ऐसा माना जा रहा था कि अगर कांग्रेस की सरकार बनी तो टीएस सिंहदेव ही मुख्यमंत्री बनेंगे. इसका परिणाम ये हुआ कि कांग्रेस ने ना सिर्फ संभाग की 14 सीटें जीतीं बल्कि जीत और हार के बीच का बड़ा अंतर भी रहा. इस बार इस सीट से बीजेपी ने राजेश अग्रवाल को टिकट दिया है. वहीं कांग्रेस ने एक बार फिर टीएस सिंहदेव पर भरोसा जताया है.
अम्बिकापुर विधानसभा क्षेत्र को जानिए: साल 1952 में हुए पहले विधानसभा चुनाव से ही अम्बिकापुर विधानसभा सीट अस्तित्व में आई. तब यह सीट आरक्षित थी. लेकिन राजपरिवारों और भारत सरकार के बीच हुई संधि के तहत कुछ विधानसभा में दो सदस्य चुने जाते थे. अम्बिकापुर विधानसभा सीट से भी एक विधायक चुनकर, तो दूसरा विधायक राजपरिवार कोटे से होता था. विधायक टीएस सिंहदेव के पूर्वज तब से इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. अम्बिकापुर विधानसभा क्षेत्र में रोजगार का प्रमुख साधन कृषि है. किसानों की मजबूत इकॉनमी के कारण यहां बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर का अच्छा नेटवर्क है.
कितने हैं मतदाता:अम्बिकापुर विधानसभा सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 2 लाख 56 हजार 454 है. यहां पुरुष मतदाताओं की संख्या 126666 है. महिला मतदाताओं की संख्या 129775 है. जबकि 13 थर्ड जेंडर मतदाता हैं.
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क्या हैं मुद्दे और समस्याएं : अम्बिकापुर विधानसभा सीट प्रदेश की अनारक्षित सीट है. आजादी के बाद से लेकर अब तक यहां के चुनावी मुद्दे मूलभूत समस्याओं का समाधान ही रहा है. लेकिन अब यहां कनेक्टिविटी की मांग है. रेल लाइन विस्तार और हवाई मार्ग की सुविधा की मांग है. इसके साथ ही मेडिकल कॉलेज अस्पताल का पूर्ण स्वरूप और न्यूरोलॉजी विभाग की स्थापना की भी मांग उठ रही है. अम्बिकापुर विधानसभा प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश के सियासी निशाने पर है. यहां उदयपुर क्षेत्र में संचालित कोयला खदानों के कारण यह ना सिर्फ विधानसभा चुनाव में प्रमुख मुद्दा रहता है, बल्कि इसी कोल ब्लॉक के सहारे कांग्रेस ने पूरे प्रदेश और देश में भी भजपा को घेरने का प्रयास किया. सत्ता में आने से पहले कांग्रेस किसी भी सूरत में खनन नहीं होने देने की बात करती थी. खुद राहुल गांधी इस क्षेत्र में आये और ग्रामीणों से वादा किया था.
2018 विधानसभा चुनाव की तस्वीर:अम्बिकापुर विधानसभा चुनाव में टीएस सिंहदेव पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के बाद प्रदेश के सबसे बड़े नाम थे. 2018 के मतदान में टीएस सिंहदेव को 1 लाख 439 वोट मिले. सिंहदेव के प्रतिद्वंद्वी भाजपा के अनुराग सिंह को महज 60 हजार 815 वोट मिले. टीएस सिंहदेव यह चुनाव 39 हजार 624 वोट के बड़े अंतर से जीते. इस चुनाव में 80.69 फीसद मतदान हुआ. कुल 1 लाख 63 हजार 973 मत पड़े. विधानसभा क्षेत्र में इस वर्ष कुल 2 लाख 25 हजार 830 मतदाता थे. साल 2018 के चुनाव में यहां कांग्रेस का वोट शेयर 45 फीसद और भाजपा का वोट शेयर 27 फीसद रहा.
कौन तय करता है जीत और हार: यह सीट भले ही अनारक्षित है लेकिन आज भी जीत और हार का फैसला ग्रामीण और आदिवासी मतदाता करते हैं. यहां गोंड, कंवर और उरांव समाज के मतदाता ही जीत और हार में अहम भूमिका निभाते हैं. इसके अलावा रजवार जाति की भी बहुलता अम्बिकापुर विधानसभा क्षेत्र में है. इस विधानसभा में अम्बिकापुर, लखनपुर और उदयपुर ब्लॉक के क्षेत्र आते हैं. विधानसभा की भौगोलिक स्थिति भी सीधी ही है. अम्बिकापुर से रायपुर जाने वाली नेशनल हाइवे पर ही तीनों विकासखंड बसे हैं. लखनपुर और उदयपुर के कुछ हिस्से जरूर दुरस्त हैं. लेकिन ज्यादातर आबादी शहर या नेशनल हाइवे के नजदीक है.