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राजनांदगांव: मालवाहक वाहनों में जान जोखिम में डालकर घर लौट रहे मजदूर - corona virus lock down

कोरोना वायरस से लगे लॉकडाउन में दूसरे राज्यों से प्रवासी मजदूर अपने घर लौट रहे हैं. कई मजदूर पैदल लौट रहे हैं, तो कई ट्रकों और मालवाहकों के उपर बैठकर अपने राज्य वापस लौट रहे हैं. इसमें देख जा रहा है कि मजदूर अपनी जान जोखिम में डालकर अपने परिवार के साथ घर लौटने को मजबूर हैं.

Workers returning after risking their lives in cargo in rajnandgaon
ट्रकों और मालवाहकों में बैठकर घर लौटे मजदूर

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Published : May 18, 2020, 1:10 AM IST

खैरागढ़/राजनांदगांव:लॉकडाउन के कारण दूसरे राज्यों में फंसे श्रमिकों के घर लौटने की संख्या दिन ब दिन बढ़ती जा रही है. श्रमिक पैदल के अलावा ट्रक या अन्य मालवाहकों में पहुंच रहे हैं. इधर महाराष्ट्र सरकार भी अपने राज्य परिवहन की बसों से प्रवासी मजदूरों को राज्य सीमा तक छोड़ रही है. इधर भीड़ हटाने के लिए प्रशासन ट्रकों और दूसरे मालवाहक वाहनों में मजदूरों को बैठाकर घर पहुंचा रहा है. यही वजह है कि मालवाहक से घर जाने वाले मजदूरों में कहीं भी सोशल डिस्टेंसिंग नहीं दिख रही है.

जान जोखिम में डालकर लौट रहे मजदूर

जोखिम उठाने को मजबूर श्रमिक
ट्रकों और मालवाहक वाहनों के ऊपर बैठकर सफर करना अपराध ही नहीं जोखिम भी है. बावजूद इसके प्रशासन खुद ट्रकों और अन्य मालवाहकों में श्रमिकों को बैठाकर उनके घर तक पहुंचा रहा है. इधर लॉकडाउन से दूसरे राज्यों में फंसे श्रमिक भी इस तरह के जोखिम उठाने को मजबूर हैं. हालत यह है कि, श्रमिकों के साथ उनका पूरा परिवार भी मालवाहकों को जान जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर हो गया है.

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संक्रमण होने का खतरा
हैदराबाद से राजनांदगांव पैदल पहुंचे खैरागढ़ ब्लॉक के श्रमिक नेमचंद, मनोहर वर्मा, सालिक राम और सुखीराम जंघेल ने बताया कि, 'ट्रकों और मालवाहकों में बड़ी संख्या में श्रमिकों को बैठा रहे हैं. जिससे काेरोना का संक्रमण बढ़ सकता है. वहीं जान का खतरा भी है. इसलिए हम पैदल ही चलकर लौट आए हैं'. श्रमिकों ने कहा कि 'जिस तरह ट्रेन चलाई जा रही है, उसी तरह मजदूरों को लाने के लिए शासन-प्रशासन बसों का परिचालन भी करें'.

पुलिस कर रही है मजदूरों की मदद

हादसों का सिलसिला भी जारी

बता दें कि देशभर से प्रवासी मजदूर अपनी जान जोखिम में डालकर अपने घर पहुंच रहे हैं. जिससे उनकी जान को भी खतरा है. साथ ही लॉकडाउन के बीच प्रवासी मजदूरों के साथ हादसों का सिलसिला जारी है.

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