राजनांदगांव:वक्त बदल चुका है... लोगों की सोच भी बदल चुकी है. लेकिन कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी लोग पुरानी परम्पराओं के जंजीर में बंधे हुए हैं. राजनांदगांव जिले के मानपुर ब्लॉक के डोमीकला गांव और गट्टेपयली गांव में महिलाओं को माहवारी के दौरान आज भी अपने घर से बाहर रहना पड़ता (Rural women have problems during menstruation) है. एक छोटे से झोपड़ी में गांव के बाहर ये महिलाएं माहवारी के दौरान वक्त गुजारती हैं. जिसे देखते हुए महाराष्ट्र की सेवा भावी संस्थान ने इन महिलाओं के लिए सेल प्रेस्टिंग होम बनाए हैं. जहां महिलाएं पीरियड के दौरान सेल्फ रेसिंग होम में गांव के बाहर रह रही हैं.
एनजीओ ने की अनोखी पहल: वहीं, इस कुप्रथा को बंद कराने को प्रशासन और शासन के साथ ही एनजीओ ने भी खूब जागरूकता अभियान चलाया है. हालांकि लोगों की सोच में कोई बदलाव नहीं आया है. महाराष्ट्र की सेवाभावी दो अलग-अलग संस्थाओं ने कुमारा घरों ( जहां माहवारी के दौरान महिलाएं रहती है) को पूरी तरह से बदल दिया है. इनकी जगह पर सेल्फ रेसिडेंसी होम तैयार किया गया है, जहां महिलाएं सुरक्षित तरीके से रहकर आराम करती हैं. संस्था की ओर से फिलहाल डोमीकला और गट्टेपयली में रेस्टिंग होम तैयार किया है. यहां पर सोलर एनर्जी से बनी बिजली की सुविधा दी गई है. पंखे, गद्दे भी उपलब्ध कराए गए हैं. रोशनीदार इस रेस्टिंग होम में महिलाएं और बालिकाएं रह सकती हैं. यहां पर शौचालय की भी सुविधा उपलब्ध करायी गई है.