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कांग्रेस के भोला के सामने बीजेपी के संतोष, कौन करेगा राजनांदगांव पर 'राज'

भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टी ने अपने प्रत्याशी मैदान में उतार दिए हैं.भाजपा ने जहां दिग्गज नेताओं का टिकट काटते हुए संतोष पांडे पर भरोसा जताया है, वहीं कांग्रेस ने अपने पूर्व विधायक भोलाराम साहू को लोकसभा का टिकट देकर उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंप दी है.

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Published : Mar 26, 2019, 11:24 PM IST

Published : Mar 26, 2019, 11:24 PM IST

भाजपा और कांग्रेस

राजनांदगांव: 17वें लोकसभा चुनाव के लिए मैदान में अब रणबांकुरे उतर चुके हैं. भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टी ने अपने प्रत्याशी मैदान में उतार दिए हैं. भाजपा ने जहां दिग्गज नेताओं का टिकट काटते हुए संतोष पांडे पर भरोसा जताया है, वहीं कांग्रेस ने अपने पूर्व विधायक भोलाराम साहू को लोकसभा का टिकट देकर उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंप दी है. दोनों ही प्रत्याशियों के मैदान में आने के बाद अब चुनावी तस्वीर साफ होने लगी है. भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टी के प्रत्याशियों में इस बार सीधा मुकाबला देखने को मिलेगा.

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राजनांदगांव लोकसभा सीट से भाजपा ने वर्तमान सांसद अभिषेक सिंह जो कि पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के बेटे हैं उनका टिकट काटते हुए कवर्धा के रहने वाले प्रदेश महामंत्री रहे संतोष पांडे को टिकट दिया है. यहां पर यह जरूरी है कि इस लोकसभा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह भी चुनाव लड़ चुके हैं और उन्हें भी जीत हासिल हुई थी. वहीं अभिषेक सिंह का टिकट कटने के बाद माना जा रहा था कि मुख्यमंत्री रहे रमन सिंह पर वर्तमान लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए काफी दबाव है लेकिन इस बीच अचानक पार्टी ने अपना फैसला बदलते हुए कवर्धा निवासी संतोष पांडे पर भरोसा जता दिया. यह चेहरा काफी चौंकाने वाला रहा है.

भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को भी इस बात का भान नहीं था की पार्टी एकदम से नए चेहरे को टिकट देगी क्योंकि इस सीट से अभिषेक सिंह रमन सिंह, मधुसूदन यादव और संघ से जुड़े भरत वर्मा जैसे लोगों का नाम सामने आ रहा था. फिर भी पार्टी ने सेकंड लाइन के नेताओं को फ्रंट लाइन में खड़े करने के लिए इस फैसले को आजमाते हुए एक बड़ा फैसला लिया है अब देखना यह है कि भाजपा अपनी रणनीति पर कितना कामयाब हो पाती है.

साहू समीकरण पर टिकी कांग्रेस की सीट
कांग्रेस पार्टी ने अपने पूर्व विधायक भोलाराम साहू को राजनांदगांव लोकसभा से टिकट दिया है. इसके पीछे पार्टी की रणनीति यह है कि पूरे लोकसभा क्षेत्र में तकरीबन 7 लाख साहू मतदाता हैं और भोलाराम साहू साहू मतदाताओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं. इसके साथ राजनांदगांव लोकसभा सीट की 6 विधानसभा सीटों पर चर्चित नाम है क्योंकि राजनांदगांव लोकसभा सीट में 2 जिले आते हैं इनमें राजनंदगांव जिले की 6 विधानसभा सीटें हैं तो कवर्धा जिले की 2 विधानसभा सीटें शामिल हैं.

पहले ही चुन लिए गए थे प्रत्याशी
कांग्रेस ने भोलाराम साहू को प्रत्याशी के तौर पर पहले ही चुन लिया था पार्टी के अंदरूनी सूत्रों की मानें तो विधानसभा चुनाव के दौरान ही उन्हें संकेत दे दिए गए थे और विधानसभा चुनाव में उनकी टिकट काटने के बाद पार्टी ने अपने एक अलग फैसले से पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को अवगत भी करा दिया था.

इसके बाद लोकसभा चुनाव के नामांकन का दौर शुरू होते ही भोलाराम साहू ने टिकट घोषणा के 2 दिन पूर्व ही नामांकन फॉर्म लेकर सबको चौंका दिया. भोलाराम साहू को चुनाव मैदान पर उतारने के लिए पार्टी की रणनीति सीधे तौर पर साहू वोटरों को साधने की है और इन्हीं वोटरों के सहारे चुनावी नैया पार लगाने की है. यह भी माना जा रहा है कि भोलाराम साहू लोकसभा की 6 विधानसभा सीटों पर चर्चित नाम है. इस लिहाज से उन्हें काफी फायदा मिलेगा दूसरी और किसान आंदोलनों में भी उनकी भूमिका रही है ऐसे में वे तकरीबन हर बड़े वर्ग के लिए जाना माना नाम है इस कारण पार्टी ने इस रणनीति को अपनाते हुए उन्हें चुनाव मैदान में उतार दिया है.

कवर्धा में संतोष, तो 6 विधानसभा सीटों पर भोला की पकड़ ज्यादा
भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टी के प्रत्याशियों की जनाधार की बात करें तो संतोष पांडे कवर्धा विधानसभा के लिए चर्चित नाम है. यहां 5,82645 मतदाता मौजूद हैं. इसके अलावा संतोष पांडे पूर्व में वीरेंद्र नगर विधानसभा से चुनाव भी लड़ चुके हैं. इसके चलते वे कवर्धा जिले में एक चर्चित नाम हैं. इसके साथ ही संघ से लंबे समय से जुड़े पांडे पूर्व में युवा आयोग के अध्यक्ष भी रहे हैं.

मोहम्मद अकबर के खिलाफ चुनाव लड़ने के बाद वे हार चुके थे. संगठन में काम करते हुए प्रदेश संगठन महामंत्री के पद पर भी रहे. पूर्व में भाजयुमो के जिलाध्यक्ष भी रहे हैं. इस लिहाज से पुराने संगठन से जुड़े कार्यकर्ताओं के बीच में वे जाना पहचाना नाम हैं. इस लिहाज से माना जा रहा है कि उनका नाम प्रत्याशी के तौर पर सामने आने के बाद पुराने कार्यकर्ता फिर से सक्रिय हो जाएंगे. वैसे ही जैसे जब रमन सिंह यहां से 1999 में राजनांदगांव लोकसभा से पूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा के खिलाफ चुनाव लड़ रहे थे इसी रणनीति के तहत पार्टी ने संतोष

पांडे को वर्तमान में उतारा है.
वहीं कांग्रेस प्रत्याशी भोलाराम साहू की बात करें तो राजनांदगांव जिले की खुज्जी विधानसभा में वे दो बार विधानसभा चुनाव जीते हैं. दो बार उन्हें इसी विधानसभा से हार का भी सामना करना पड़ा है. लिहाजा वे लोगों में जाने-माने चेहरे हैं. दूसरी ओर साहू समाज में पदाधिकारी रहते हुए भी उन्होंने काफी काम किया है, इस कारण साहू वोटरों में उनकी अच्छी पकड़ है.

माना जा रहा है कि इसका उन्हें वर्तमान लोकसभा चुनाव में फायदा भी मिलेग. इसके अलावा सबसे बड़ी बात यह है कि राजनांदगांव लोकसभा में कुल 8 विधानसभा सीटें आती है. इनमें 6 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है. केवल एक सीट पर भाजपा काबिज है. वहीं एक सीट पर जेसीसी विधायक देवव्रत सिंह काबिज हैं. इस लिहाज से कांग्रेस प्रत्याशी को बड़ी ताकत इस लोकसभा चुनाव में मिल रही है. कांग्रेस के दो विधायक साहू समाज से आते हैं. डोंगरगांव विधानसभा विधायक दलेश्वर साहू और खुज्जी विधानसभा विधायक छन्नी साहू. इसका भी फायदा भोलाराम साहू को मिलेगा.

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