राजनांदगांव: तारीख पे तारीख, तारीख पे तारीख, तारीख पे तारीख, यूं तो ये एक फिल्म का डायलॉग है, लेकिन कुछ बेजुबान इन तारीखों के फेर में ऐसे उलझे कि पिछले 4 साल से बिना किसी अपराध के सजा काटने को मजबूर हैं.
जानिए कैद में बंद इन कछुओं की कहानी चार साल है कैद हैं कछुए
सितंबर 2015 में बसंतपुर पुलिस ने इन कछुओं को 6 आरोपियों से बरामद किया था, जो इनका उपयोग तंत्र-मंत्र में करते थे. पुलिस ने आरोपियों को कोर्ट में पेश किया और उसके बाद से तारीख मिलने का जो सिलसिला शुरू हुआ वो अब तक जारी है.
नहीं मिली आजादी
मामला कोर्ट में है, लिहाजा पुलिस ने इन कछुओं को वन विभाग के हवाले कर दिया. कछुए तांत्रिकों की कैद से तो आजाद हो गए, लेकिन इन्हें आजादी नहीं मिल पाई और वन अमले ने इन्हें एक वाटर टैंक में डाल दिया, जहां ये पिछले 4 साल से आजाद होने का इंतजार कर रहे हैं.
चार कर्मचारी करते हैं देख-रेख
फॉरेस्ट डिपो में एक डिप्टी रेंजर सहित वन अमले के 4 कर्मचारी रात-दिन इन कछुओं की देख-रेख करते हैं. इन कछुओं की आजादी के सवाल पर पुलिस का कहना है कि अगर कोर्ट का आदेश मिले तो कछुओं को छोड़ दिया जाएगा. वहीं डीएफओ साहब का कहना है कि कोर्ट से अनुमति मांगी गई है.
मामले का सबसे दुखद पहलु ये है कि जिन कछुओं के गलत इस्तेमाल के लिए कोर्ट में ये मामला चल रहा है, वो कछुए खुद कैदियों सी जिंदगी जी रहे हैं, अब सवाल ये उठता है कि जिस मकसद से इन कछुओं को तांत्रिकों से आजाद करवाया गया था वो कब पूरा होगा और कब ये आजादी की सांस ले पाएंगे.