राजनांदगांव: प्रदेशभर में 1 दिसंबर से धान खरीदी शुरू हो रही है. जिसके लिए शुक्रवार से यानी 27 नवंबर से टोकन वितरण शुरू हो चुका है. डोंगरगांव में बीते दिन सुबह से ही किसान टोकन लेने धान केंद्रों में पहुंचे. इस दौरान किसान की भारी भीड़ धान केंद्रों में देखने को मिली. वहीं दूसरी तरफ टोकन वितरण के पहले ही दिन धान खरीदी केंद्रों में कई अव्यव्स्थाएं नजर आई जिसके चलते किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा. वहीं भारी भीड़ की वजह से कोविड के नियमों का भी कोई पालन नहीं किया गया.
हजारों की संख्या में टोकन लेने पहुंचे किसान इस साल धान खरीदी देरी से हो रही है. किसानों ने कई दिनों पहले से ही धान की कटाई और मिंजाई करके रख ली है. वहीं किसान धान की मिंजाई करने लगे हैं. ऐसे में अब किसान धान के खराब होने और नुकसान को देखते हुए जितनी जल्दी हो सके धान बेचने के फिराक में हैं. जिसके चलते खरीदी केंद्रों में भीड़ उमड़ पड़ी है.
नहीं हो सका कोविड के नियमों का पालन
धान खरीदी केंद्रों में कोविड-19 नियमो को लेकर व्यवस्था जरूर की गई थी लेकिन भीड़ के चलते यह व्यवस्था पूरी तरीके से चौपट हो गई. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया गया. साथ ही सैनिटाइजर की व्यवस्था कहीं नजर आई. साथ ही कई किसानों ने मास्क भी नहीं पहना था. टोकन लेने के लिए हजारों की संख्या में डोंगरगांव कृषि उपज मंडी प्रांगण में किसान उपस्थित हुए.
टोकन के लिए रतजगा कर रहे हैं किसान
शुक्रवार से समितियों से टोकन जारी किए जाने थे. हालात यह रहा कि समय और मौसम की मार झेल रहे किसानों ने सर्द भरी रात में रतजगा कर लाईन लगाई. क्षेत्र के अधिकतर समितियों में हालात यही थे. लाईन में लगा हर किसान अपनी उपज को जल्द से जल्द समर्थन मूल्य में विक्रय करना चाहता है. वहीं स्थिति यह थी कि 10 बजे सोसायटियों में अप्रत्याशित भीड़ जमा हो गई, जिनमें महिला कृषक भी शामिल थे. हालात यह थे कि डोंगरगांव समिति में पुलिस बल बुलाना पड़ा और तब जाकर किसान शांत हुए.
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डोंंगरगांव सोसायटी में सीजन के पहले दिन ही लगभग दो हजार से अधिक किसानों ने टोकन के लिए अपने आवेदन जमा किए. बता दें कि स्थानीय सोसायटी में लगभग 2900 कृषक हैं जिनके लगभग 3300 हेक्टेयर में से लगभग 3000 हेक्टेयर में उपजे धान की खरीद की जानी है. किसानों ने बताया कि त्यौहारी जरूरत के कारण अनेक किसानों ने अपनी उपज को औने-पौने दामों पर व्यापारियों को बेचना मुनासिब समझा. कृषकों ने बताया कि यदि हालात यही रहे तो इसे लेकर किसानों में आक्रोश की स्थिति निर्मित हो सकती है.