राजनांदगांव: गोदामों में 2 महीने से रखे गन्ने अब सूख कर आधे हो चुके हैं और इसके साथ ही गन्ना व्यापारियों के कारोबार से जुड़ी उम्मीदें भी टूट गई हैं, क्योंकि कोरोना संकट की वजह से लॉकडाउन ने उनका सारा धंधा चौपट कर दिया है. गर्मी की शुरुआत में गन्ने के जूस की खूब बिक्री होती है. लेकिन कोरोना संकट की वजह से कारोबार ठप पड़ा तो दो जून के निवाले पर भी आफत आ गई है. लिहाजा गन्ना किसानों और व्यापारियों को जबरदस्त घाटा हुआ है. मार्च-अप्रैल और मई इन 3 महीने में गन्ने का व्यापार पूरे शबाब पर रहता है.लेकिन लॉकडाउन की मार ने सबकुछ मंदा कर दिया है.
लॉकडाउन की वजह से गन्ना व्यापारियों को लाखों का नुकसान गन्ना रस का व्यापार करने वाले व्यापारियों से जब ETV भारत ने चर्चा की तो पता चला कि मार्च-अप्रैल और मई इन 3 माह में गन्ने का व्यापार अपने चरम पर रहता है. इसके चलते गन्ना व्यापारियों को सीजन में बड़ा मुनाफा होता है, लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते हालात ऐसे हुए हैं, कि गन्ना व्यापारियों की दुकानें खुलते ही बंद हो गईं, जो कि अब तक बंद पड़ी हुई हैं.
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गन्ने के थोक व्यापारी प्रमोद साहू का कहना है कि सीजन में गन्ने का व्यापार करने के लिए वे फरवरी महीने में थोक में गन्ना की खरीदी करते हैं इस बार भी प्रतिदिन 30 टन के हिसाब से 2 महीने का स्टॉक पहले ही एडवांस में लाकर रख लिया गया था. लेकिन गन्ना रस के चिल्लर व्यापारियों की दुकानें नहीं खोलने से गन्ने का उठाव नहीं हो पाया, इस कारण उन्हें इस बार तकरीबन 5 से 7 लाख रुपए का सीधे तौर पर नुकसान उठाना पड़ा है.
एक अनुमान के अनुसार-
- गन्ना व्यापारी चिल्लर व्यापारियों को 30 से 50 टन गन्ना सप्लाई करते हैं.
- इस सीजन व्यापारियों को लगभग डेढ़ करोड़ रुपए का नुकसान हुआ हैं.
- 550 रुपए के हिसाब से गन्ना का स्टॉक मंगाया गया था.
- छोटे से छोटे व्यापारी को 3 से 5 लाख का नुकसान हुआ है.
- शहर में प्रत्येक चिल्लर व्यापारी एक दिन ने डेढ़ लाख रुपए का गन्ना रस बेचते थे.
- प्रत्येक व्यापारी को 3 महीने के सीजन में एक से डेढ़ लाख का होता था मुनाफा.
अब तक नहीं मिली परमिशन
व्यापारियों का कहना है कि शासन से अब तक के गन्ना के व्यापारियों को जूस बेचने के लिए परमिशन नहीं दी है. अब गन्ने का सीजन लगभग खत्म होने को आ गया है. 15 दिन बाद बारिश आ जाएगी इसके बाद गन्ने के जूस का व्यापार खत्म हो जाएगा. इस बार चिल्लर व्यापारी और थोक व्यापारियों को बड़ा नुकसान हो रहा है. ऐसे में जूस का कारोबार करने वाले अब कोरोना को कोस रहे हैं.