राजनांदगांव: कोरोना संकट काल ने कई लोगों से उनका रोजगार छीन लिया. लोगों की आर्थिक स्थिति खराब हो गई, लेकिन इस आपदा के बीच भी अवसर ढूंढने वाली काजल गोसाई ने लोगों के सामने एक मिसाल पेश की. राजनांदगांव के गंज चौक के पास रहने वाली 21 साल की काजल गोसाई शहर के एक प्रिंटिंग प्रेस में काम करती थी, लेकिन लॉकडाउन के दौरान उसे नौकरी से निकाल दिया गया. नौकरी से निकाले जाने के बाद काजल ने हार नहीं मानी.
काजल ने ठान लिया कि जिस कोरोना वायरस ने उनकी नौकरी छीनी है, वे उस वायरस को ही खत्म करने का व्यापार शुरू करेंगी. काजल ने गंज चौक में ही अपनी एक छोटी सी सैनिटाइजर, मास्क और ग्लव्स की दुकान खोल ली. खुद की सोच और कम लागत की इस दुकान से काजल खुश हैं. वहीं अब किसी की मदद लेने की भी जरूरत नहीं पड़ती. वह जितना अपनी नौकरी से कमाती थी, उससे ज्यादा पैसा इस छोटी सी दुकान से कमा रही है.
लॉकडाउन में मालिक ने नौकरी से निकाला
21 साल की उम्र में कभी काजल अपने घर से सुबह-सुबह तैयार होकर काम के लिए निकल पड़ती थी, लेकिन कोरोना काल ने उसकी पूरी दुनिया बदल दी है. कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देशभर में किए गए लॉकडाउन के बाद काजल को नौकरी से निकाल दिया गया. गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली काजल इसके पहले कि कुछ समझ पाती, उसके हाथ से नौकरी जा चुकी थी. कारण पूछने पर मालिक से जवाब मिला कि कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन में आर्थिक हालात खराब हो चुके हैं, अब नौकरी पर लोगों को रखना संभव नहीं है. मालिक का जवाब सुनकर काजल निराश नहीं हुई, उसने जल्द ही कोरोना वायरस से लड़ने वाले सामानों की ही छोटी सी दुकान खोल ली.
राजनांदगांव शहर में भी लॉकडाउन के बाद छोटे-बड़े सभी उद्योगों और व्यापारों को आर्थिक रूप से बड़ा नुकसान हुआ है. यही वजह है कि कई लोगों की नौकरियां चली गई. बेरोजगारी बढ़ने से लोग डिप्रेशन में जा रहे हैं, लेकिन काजल ने विपरीत हालातों से लड़कर अंधेरे को रोशनी में बदल दिया.
'12 रुपए प्रति घंटे के हिसाब से मिलते थे पैसे'