राजनांदगांव:छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक ने जिला पंचायत के सभाकक्ष में महिलाओं के उत्पीड़न से संबंधित मामलों की सुनवाई की.
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी ने 15 प्रकरणों के दोनों पक्ष, आवेदक और अनावेदक को बारी-बारी से अपना पक्ष प्रस्तुत करने का मौका दिया. उत्पीड़न के मामले में एक वृद्ध महिला को उनके घर का आधिपत्य नहीं मिल पा रहा था. कोई अन्य महिला बुजुर्ग के मकान पर कब्जा कर वहां रह रही थी. उसकी मौत होने के बाद वृद्ध महिला जब अपने घर में रहने गई, तो उन्हें वहां का आधिपत्य नहीं मिल सका. इसकी जानकारी मिलने पर राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष ने तुरंत पुलिस विभाग के अधिकारियों को निर्देशित करते हुए घर का आधिपत्य वृद्ध महिला को देने के लिए कहा.
आवेदकों ने किया किरणमयी नायक का आभार व्यक्त
दूसरे मामले में शासकीय कर्मचारी ने अवकाश स्वीकृत नहीं होने की शिकायत आयोग के समक्ष की थी. आयोग के सामने हाजिर होने पर यह पता चला कि आयोग का नोटिस आवेदक को मिलते ही अनावेदक ने 20 अक्टूबर 2020 को सुनवाई से ठीक 2 दिन पहले अवकाश स्वीकृत कर दिया है, जिसकी जानकारी आयोग को दी गई.
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एक अन्य मामले में पिता और बेटी के बीच संपत्ति विवाद में दोनों को अपने-अपने पक्ष के समर्थन में संबंधित दस्तावेजों को लेकर आगामी सुनवाई की तिथि पर आयोग में उपस्थित होने के लिए निर्देशित किया गया, जिस पर दोनों पक्षों ने सहमति जताई. इसके अलावा एक मामले में आवेदिका ने अपने पति के खिलाफ शिकायत की थी. आवेदिका ने महिला आयोग को बताया कि उसके पति स्वास्थ्य विभाग में आरएचओ के पद पर पदस्थ हैं. वे उन्हें और उनकी बेटी को भरण-पोषण राशि नहीं देते और उन्हें प्रताड़ित करते हैं. जिसे आयोग ने तत्काल गंभीरता से लिया. उन्होंने उच्च अधिकारियों को निर्देश दिया कि पति के वेतन से सीधे आधी राशि पत्नी-बेटी के भरण-पोषण के लिए देने की व्यवस्था की जाए.
8 मामलों का हुआ निराकरण
सुनवाई के दौरान आयोग ने कई विभागों में आंतरिक परिवाद समिति गठन करने पर जोर दिया. साथ ही उनके पास जाकर उनकी रिपोर्ट को देखने के बाद महिला उत्पीड़न से संबंधित शिकायत का निराकरण किए जाने की बात कही. शुक्रवार को आयोग के समक्ष कुल 15 प्रकरण सहित एक नया प्रकरण तत्काल लिया गया. 15 प्रकरणों में से 8 प्रकरण निराकृत हुए, जबकि 7 प्रकरणों को आगामी सुनवाई के लिए आयोग में उपस्थित होने के निर्देश दिए गए.