राजनांदगांव: दिवाली में पटाखों की धूम नहीं हो तो कुछ कमी सी लगती ही है, लेकिन अगर पटाखे हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने लगे तो इनके इस्तेमाल के बारे में सोचना जरूरी हो जाता है. दरअसल, पटाखों का धुआं जहां स्वाभाविक तौर पर खतरनाक माना जाता है, वहीं अब कोरोना संक्रमण के लिहाज से भी यह बेहद संवेदनशील बताया जा रहा है.
कोरोना मरीजों को बरतनी होगी सावधानी
स्वास्थ्य विभाग भी लोगों से लगातार अपील कर रहा है कि, कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके वे मरीज जो फेफड़े और शरीर में कमजोरी और अस्थमा या एलर्जी से पीड़ित हैं, उनको पटाखों के धुएं से दूर रखें. ऐसे लोगों के लिए पटाखे का धुआं बहुत खतरनाक हो सकता है. डॉक्टर्स मानते हैं कि पटाखों के धुएं से फेफड़ों में सूजन आ सकती है. जिससे फेफड़े अपना काम ठीक से नहीं कर पाते. यहां तक कि इससे ऑर्गेन फेलियर या मौत तक हो सकती है. इसलिए धुएं से बचने की कोशिश करनी चाहिए.
अस्थमा अटैक का होता है खतरा
पटाखों के धुएं की वजह से अस्थमा का अटैक आ सकता है. ऐसे में जिन लोगों को सांस की समस्याएं हो, उन्हें अपने आप को प्रदूषित हवा से बचा कर रखना चाहिए. पटाखों के धुएं से हार्टअटैक और स्ट्रोक का खतरा भी पैदा हो सकता है. पटाखों में मौजूद लेड के कारण हार्टअटैक और स्ट्रोक की आशंका बढ़ जाती है. जब पटाखों से निकलने वाला धुआं सांस के साथ शरीर में जाता है तो खून के प्रवाह में रूकावट आने लगती है. दिमाग को पर्याप्त मात्रा में खून न पहुंचने के कारण व्यक्ति स्ट्रोक का शिकार हो सकता है.
धुंए से बचने की जरुरत: सीएमएचओ
राजनांदगांव सीएमएचओ डॉ. मिथलेश चौधरी ने बताया कि अस्थमा या एलर्जी के मरीजों की सेहत के लिए पटाखे का धुआं खतरनाक हो सकता है. ऐसे लोगों को दिवाली की आतिशबाजी या पटाखों के धुएं से बचने की जरुरत है. सीएमएचओ ने स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर और विश्व स्वास्थ्य संगठन का हवाला देते हुए बताया कि वायु प्रदूषण से भारत में हर साल 12 लाख लोगों की मौत हो जाती है. इनमें दिल संबंधी बीमारियों से 34 प्रतिशत, निमोनिया से 21 प्रतिशत, स्ट्रोक से 20 प्रतिशत, सांस संबंधी बिमारियों से 19 प्रतिशता और फेफड़ों के कैंसर से 7 प्रतिशत लोगों की मौत हो जाती है. ऐसे में लोगों को पटाखों के धुएं और शोर से बचने की जरुरत है.