राजनांदगांव:जिले में शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में अध्ययनरत बच्चों की फीस देने में राज्य शासन खुद कोताही बरत रहा है. आरटीई के तहत जिले के 304 निजी स्कूलों के करीब 10 करोड़ की राशि का भुगतान राज्य शासन ने अब तक स्कूलों के खाते में ट्रांसफर नहीं किए हैं. कोरोनावायरस के संक्रमण के चलते निजी स्कूल तकरीबन 9 माह से बंद पड़े हैं ऐसी स्थिति में शासन से यह राशि अगर निजी स्कूलों को मिलती है तो निजी स्कूलों के लिए ऑक्सीजन का काम करेगी
10 करोड़ की राशि का भुगतान बाकी
शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले के 304 निजी स्कूलों के वित्तीय वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-20 तक की 10 करोड़ की राशि आज तक नहीं मिल पाई है. शिक्षा विभाग ने जिले के तकरीबन 14 हजार से ज्यादा ज्यादा बच्चों को शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में एडमिशन कराया था. दाखिल बच्चों की फीस राज्य शासन को देनी है, लेकिन यह राशि अब तक निजी स्कूलों को नहीं मिल पाई है. आरटीई की बकाया राशि नहीं मिलने से निजी स्कूलों की माली हालत काफी खराब हो गई है. यहां तक कई स्कूल तो बंद होने के कगार पर भी आ गए हैं. बावजूद इसके शिक्षा विभाग केवल निजी स्कूलों को राशि आने का हवाला देकर इस सत्र में भी आरटीई के तहत एडमिशन के लिए दबाव बना रहा है.
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निजी स्कूलों की हालत खराब
कोरोनावायरस के संक्रमण के चलते तकरीबन 9 माह से निजी स्कूलों में ताले लगे हुए हैं. राज्य शासन ने अलग-अलग आदेश जारी कर निजी स्कूलों को ऑनलाइन क्लासेस के नाम पर फीस लेने पर भी रोक लगा दी है. ऐसी स्थिति में निजी स्कूलों के संचालकों के पास कोई भी आवक का जरिया नहीं है. ऐसी स्थिति में राज्य शासन को आरटीई के तहत जो राशि बकाया है उसका भुगतान समय पर देना चाहिए, जिससे निजी स्कूलों को राहत मिल सके.वर्तमान में आधा सत्र बीत चुका है लेकिन अब तक राज्य शासन ने निजी स्कूलों की आरटीई के तहत बकाया रकम उनके खातों में नहीं भेजी है. संचालकों का कहना है कि पालको पर भी फीस को लेकर के दबाव नहीं बनाया जा सकता. ऐसी स्थिति में निजी स्कूल के संचालक कर्ज में लग चुके हैं और स्कूल बंद करने की नौबत तक आ गई है.