राजनांदगांव: छत्तीसगढ़ में विधानसभा, लोकसभा के बाद नगरीय निकाय चुनाव संपन्न हो चुके हैं. इसमें विधानसभा और नगर-निगम चुनाव में कांग्रेस को एकतरफा जीत हुई मिली है. वहीं लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा. तीन चुनावों के बाद प्रदेश में एक बार फिर त्रि-स्तरीय चुनाव होने हैं, इसके लेकर तमाम पार्टियां अपनी रणनीति बनाने में जुट गई है. इन सबके बीच 1994 के जिला पंचायत चुनाव की एक घटना का जिक्र तेज हो गया है.
बताते हैं 1994 में यहां पंचायत चुनाव हुए थे, जिसमें कांग्रेस बहुमत में थी, लेकिन यहां जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पर बीजेपी ने कब्जा जमाया था. लोगों का कहना है कि बहुमत के बावजूद कांग्रेस के हाथ से अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की कुर्सी चली गई थी. इस घटना का जिक्र 25 साल बाद एक बार फिर सुर्खियों में है.
क्रॉस वोटिंग ने बदला था समीकरण
1994 में जिला पंचायत चुनाव में कांग्रेस जीत के बाद अपने 14 सदस्यों के साथ सदन में पहुंचे थे, लेकिन जब अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनने की बारी आई तो कांग्रेस के चुने दुए प्रतिनिधियों ने क्रास वोटिंग कर दिया. जिससे अल्पमत में होते हुए भी बीजेपी यहां सरकार बनाने में कामयाब रही और अध्यक्ष के साथ उपाध्यक्ष की कुर्सी भी बीजेपी के खाते में चली गई.