राजनांदगांव: छुरिया विकासखंड के महरूम गांव के रहने वाले 39 साल के रमेश नेताम दिव्यांग होने के बाद भी अपने हौसले से लोगों के लिए प्रेरणा बन रहे हैं. पैरों से लाचार रमेश घर-घर चलकर नहीं जा सकते, लेकिन ट्राई साइकिल के जरिए वह लोगों के घरों तक पहुंचते हैं और उन्हें आवाज देकर उनके हाथों में अखबार सौंपकर आते हैं.
रमेश नेताम हौसले की अद्भुत मिसाल हैं. बचपन में अपने पिता को खोया. पोलियो की बीमारी से दोनों पैर लाचार हुए, इसके बाद भी रमेश ने हार नहीं मानी. जिंदगी से जंग लड़ते हुए उन्होंने 12वीं तक की शिक्षा ली. इसके बाद गांव के ही स्कूल में बतौर अतिथि शिक्षक बच्चों को पढ़ाने लगे. इसके बाद 2 साल पहले उन्होंने अखबार बेचने का काम शुरू किया. अब वे इस काम को बेहतर तरीके से कर रहे हैं. दिव्यांग होने के बाद भी वे अखबार बांटने जैसा मुश्किल काम करते हैं. साल के 12 महीने रमेश अपनी ट्राईसाइकिल पर अखबार बांटने निकल जाते हैं. लोगों के घरों तक पहुंचते हैं और उन्हें उनके नाम से आवाज देते हैं. इसके बाद अखबार सौंपकर अगली मंजिल की ओर निकल पड़ते हैं.
रोजाना 20 किलोमीटर का सफर
रमेश ने बताया कि वे आसपास के 4 गांवों में अखबार बांटने का काम करते हैं. महरूम से करमरी तक उनका सफर सुबह से ही शुरू हो जाता है. रमेश एक दिन में करीब 40-45 अखबार की प्रतियों का डिस्ट्रिब्यूशन करते हैं. साल के 12 महीने हर मौसम में इस काम को करना उनके लिए काफी चुनौतीपूर्ण होता है. खासकर बारिश के दिनों में उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. तमाम तकलीफों के बाद भी रमेश ने कभी हार नहीं मानी.
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