राजनांदगांव:छत्तीसगढ़ सरकार (Government of Chhattisgarh) छोटे किसानों (Farmer) को मजबूत बनाने के लिए धरातल पर कई ऐसी योजनाओं को लेकर आती है. जिससे छोटा किसान आर्थिक रूप से मजबूत हो सके, लेकिन शासन की इन योजनाओं पर संबंधित विभाग के प्रशासनिक अधिकारी और कर्मचारी मोटी कमीशन का खेल खेलने से बाज नहीं आते है. इस दौरान छोटा किसान दोनों की तरफ से अपने आप को ठगा महसूस करता है.
दरअसल, राजनांदगांव में मत्स्य विभाग द्वारा नील क्रांति योजना (blue revolution scheme) चलायी जा रही है. इसके तहत छोटे कृषकों के लिए एक संजीवनी स्वरूप योजना लागू की गई. जिसमें छोटे कृषकों को अपने खेत में एक तालाब बनवाना है. जिसमें विभाग मछली बीज एवं तालाब की खुदाई के लिए 50 से 60 फीसदी तक सब्सिडी देने का प्रावधान है. जब किसान योजना का लाभ उठाने कर्ज लेकर तालाब खुदवाता है. विभाग के पास तलाब खुदवाये जाने की जानकारी देते है तो विभाग के अधिकारी और कर्मचारी निरीक्षण तो कर लेते हैं लेकिन सब्सिडी का चेक देने के लिए सब्सिडी राशि का 15 से 20% कमीशन की मांग करते हैं.