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SPECIAL: बेमौसम बारिश ने खराब की 'लंगड़े आम' की फसल, नहीं मिल पाएगा स्वाद

राजनांदगांव के डोंगरगांव ब्लॉक में बेमौसम बारिश से लंगड़े आम की फसल खराब हो गई है. जिससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

langra  mango crop spoiled due to unseasonal rains in dongargaon block of rajnandgaon
बेमौसम बारिश ने खराब की 'लंगड़े आम' की फसल

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Published : May 14, 2020, 10:38 AM IST

राजनांदगांव:एक तरफ कोरोना महामारी और लॉकडाउन तो वहीं दूसरी तरफ बेमौसम बारिश. बेमौसम बारिश की मार जिले के मशहूर लंगड़े आम पर भी पड़ी है, इसके कारण इसका उत्पादन काफी कम हो गया है. इस भयंकर आपदा के दौरान आम की फसल खराब होने से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

बेमौसम बारिश ने खराब की 'लंगड़े आम' की फसल

किसान हुए मायूस

जिले के डोंगरगांव ब्लॉक के खुज्जी इलाके में होने वाला मशहूर लंगड़ा आम इस बार लोगों को स्वाद नहीं दे पाएगा. यहां पर लंगड़े आम की खेती करने वाले किसान फसल नहीं होने से मायूस हो गए हैं, बेमौसम हुई बारिश के चलते लगातार आम के बौर खराब हो गए. जिससे इस साल आम की फसल किसानों को नहीं मिल पा रही है. किसानों की मानें तो पिछले 5 साल में इस बार लंगड़ा आम का उत्पादन सबसे कम हुआ है. हर साल तकरीबन 5 टन लंगड़ा आम खुज्जी के बगीचे से निकलता था, लेकिन इस बार बमुश्किल 1 टन भी उत्पादन नहीं हो पाया. किसानों ने बताया कि हर साल खुज्जी स्थित आम के बगीचे को लीज पर लेते हैं. जिसके लिए उन्हें बगीचे के मालिक को मोटी रकम चुकानी पड़ती है.

विदेशों तक जाती थी सप्लाई
लंगड़ा आम जिले का सबसे मशहूर आम है, जिसका उत्पादन शिवनाथ नदी के किनारे होता है. खुज्जी के लंगड़ा आम की सप्लाई उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र उड़ीसा, मध्य प्रदेश, तेलंगाना में की जाती है. इसकी डिमांड विदेशों में भी है, कतर और दुबई जैसे देशों में इसकी सप्लाई की जाती रही है, हालांकि लंबे समय से आम का उत्पादन घटने से अब सप्लाई रोक दी गई है.

रियासत कालीन है आम का बगीचा

डोंगरगांव ब्लॉक के ग्राम पंचायत खुज्जी स्थित आम बगीचा रियासत कालीन है. यहां पर तकरीबन 500 से ज्यादा पेड़ थे. 20 एकड़ से ज्यादा हिस्से में केवल आम की खेती होती थी, लेकिन धीरे-धीरे यह सिमट गई और अब केवल 108 पेड़ बचे हैं यहां से ही लंगड़ा आम की फसल ली जाती है.

पीड़ित किसानों को मुआवजा देने की मांग
भारतीय जनता युवा मोर्चा के महामंत्री कैलाश शर्मा का कहना है कि इलाके में अधिकांश लोग आम की फसल लेते हैं, लेकिन इस बार मौसम की मार के चलते आम की फसल नहीं हो पाई है. धान की खेती करने वाले किसानों को सरकार हर तरीके से बोनस या मुआवजे की रकम देती है, लेकिन परंपरागत खेती से हटकर उत्पादन लेने वाले किसानों की तरफ सरकार का ध्यान अब तक नहीं गया है. राज्य सरकार को ऐसे किसानों पर ध्यान देना चाहिए.

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