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क्वॉरेंटाइन सेंटर्स में मजदूरों का नहीं कट रहा वक्त, गेम खेलकर बिता रहे दिन

क्वॉरेंटाइन किए गए लोगों के सामने वक्त काटना एक बड़ी समस्या है. क्वॉरेंटाइन किए गए लोगों का कहना है कि दिनभर मोबाइल पर गेम खेलकर और रिश्तेदारों से बात करके दिन काटना पड़ रहा है.

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क्वॉरेंटाइन सेंटरों में मजदूरों का नहीं कट रहा वक्त

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Published : May 25, 2020, 12:57 PM IST

राजनांदगांव: कोरोना के चलते अन्य राज्यों से अपने गांव लौटे प्रवासी मजदूरों को क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखा गया है. जिसके लिए राजनांदगांव में 1 हजार 483 क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाए गए हैं, जहां बाहर से आने वाले लोगों को 14 से 28 दिनों के लिए क्वॉरेंटाइन किया जा रह है. डेढ़ से दो महीने बाद गांव लौटने के बाद भी घर के बजाए क्वॉरेंटाइन सेंटर में ठहरे श्रमिकों के सामने एक बड़ी समस्या है, वो है वक्त काटने की. गांव में होने के बावजूद घर-परिवार से दूर क्वॉरेंटाइन सेंटर में वक्त काटने के लिए मजदूर कई तरह की तरकीब ढूंढ रहे हैं. मजबूरन मजदूरों को मोबाइल के भरोसे ही दिन काटना पड़ रहा है. ऐसे में ये लोग फोन पर बात करने के अलावा मोबाइल पर गेम खेलकर अपना समय काट रहे हैं.

क्वॉरेंटाइन सेंटर में मजदूरों का नहीं कट रहा वक्त

गेम खेलकर बिता रहे दिन

राजनांदगांव ब्लॉक के खपरीकला गांव के क्वॉरेंटाइन सेंटर में स्कूल परिसर के बाहर कुछ महिलाएं बर्तन धोती नजर आई. वहीं कुछ लोग परिसर में ही पेड़ों के नीचे छांव में ठंडी हवा ले रहे थे. महिलाओं ने बताया कि भीतर भी कई लोग हैं, जो टाइम पास करने के लिए मोबाइल पर गेम खेल रहे हैं. वहीं बाहर पेड़ की छांव के नीचे भी कुछ महिलाएं मोबाइल गेम खेलती दिखीं. इसी तरह के हालात डिलापहरी क्वॉरेंटाइन सेंटर में भी देखे गए. यहां आठ लोग क्वॉरेंटाइन सेंटर में हैं, जिनमें एक दंपति भी है, जो छह दिन पहले ही हैदराबाद से लौटे हैं. क्वॉरेंटाइन सेंटर में ठहरे ओमप्रकाश ने बताया कि यहां वक्त ही नहीं कटता है. जिसके चलते वह भी दिनभर पत्नी के साथ मोबाइल पर गेम खेलते रहते हैं. वहीं रिश्तेदारों से घंटों बातें करके वक्त बिता रहे हैं.

क्वॉरेंटाइन सेंटर्स में मजदूरों का नहीं कट रहा वक्त

व्यवस्थाओं से खुश मरीज

मुंबई से आठ दिन पहले खपरीकला लौटे मुकेश साहू क्वॉरेंटाइन सेंटर में हैं, उनके साथ करीब 62 लोग यहां हैं. सभी स्कूल के सात अलग-अलग कमरों में ठहरे हैं. मुकेश ने बताया कि गांव के क्वॉरेंटाइन सेंटर में सभी व्यवस्थाएं है. स्कूल में तीन शौचालय हैं, पानी की पर्याप्त व्यवस्था है. वहीं कमरों में कूलर और पंखे के साथ ग्राम पंचायत ने गद्दे भी लगाए हैं. उन्होंने बताया कि केवल समय पास करने के लिए कोई साधन नहीं है. ऐसे में मोबाइल ही एक सहारा है. मुकेश बताते हैं कि दिनभर में करीब छह से आठ घंटे मोबाइल फोन पर ही व्यस्त रहते हैं

क्वॉरेंटाइन सेंटरों में मजदूरों का नहीं कट रहा वक्त

बाउंड्रीवाल की आड़ में परिजनों से हो रही मुलाकात

लॉकडाउन के दौरान राहत मिलते ही श्रमिक अपने गांव लौट रहे हैं. इन्हें गांव के ही स्कूल भवनों में क्वॉरेंटाइन किया जा रहा है. ऐसे में लंबे समय बाद गांव लौटे श्रमिकों को परिजनों से मिलने दिक्कतें तो हो रही हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण को लेकर क्वॉरेंटाइन हुए श्रमिक भी नियमों का सख्ती से पालन कर रहे हैं. रविवार को ऐसा ही नजारा डिलापाहरी, खपरीकला, धनगांव, धीरी और सोमनी के क्वॉरेंटाइन सेंटर में देखने को मिला. जहां ठहरे लोगों से मिलने परिजन स्कूल पहुंचे थे. स्कूल की बाउंड्रीवॉल की आड़ में शारीरिक दूरी बनाकर श्रमिकों ने अपने घरवालों से मुलाकात की. धनगांव के क्वॉरेंटाइन सेंटर में ठहरे श्रमिक भोलादास मानिकपुरी और रमेश धनकर ने बताया कि कोरोना के संक्रमण से खुद की सुरक्षा पहले जरूरी है. हम सुरक्षित रहेंगे, तभी परिवार सुरक्षित रहेगा.

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