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श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की तैयारियों में डूबा राजनांदगांव

राजनांदगांव जिले में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव 30 अगस्त को मनाया जाएगा. कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर कलाकार भगवान श्रीकृष्ण की कलात्मक प्रतिमा गढ़ने में जुट गए हैं. बाल कलाकार भी भगवान श्रीकृष्ण की आकर्षक और मनमोहक मूर्तियां अपने हाथों से बना रहे हैं.

Child artist engaged in shaping Shri Krishna statue
श्रीकृष्ण प्रतिमा को आकार देने में जुटा बाल कलाकार

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Published : Aug 26, 2021, 11:49 AM IST

राजनांदगांवःराजनांदगांव सहित देश-प्रदेश में भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 30 अगस्त को मनाया जाएगा. इसके लिए राजनांदगांव शहर में पर्व की तैयारी शुरू हो गई हैं. भगवान श्रीकृष्ण की मूर्तियां आकार लेने लगी हैं. कलाकार भगवान श्रीकृष्ण की कलात्मक प्रतिमा बनाने में जुटे हुए हैं. बीते वर्ष कोरोना संक्रमण के चलते यह पर्व कुछ फीका-फीका रहा. सार्वजनिक स्थानों पर न तो भगवान की प्रतिमा विराजित की गई और न ही दही-लूट का आयोजन हुआ. प्रशासन ने कोरोना संक्रमण के चलते दही-लूट कार्यक्रम को प्रतिबंधित किया था. जन्माष्टमी के मौके पर कृष्ण-लला घर-घर विराजमान होंंगे. इसके लिए कलाकारों ने अपनी तैयारी शुरु कर दी है और भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा बनाने में जुट गए हैं.

राजनांदगांव में जन्माष्टमी की तैयारियां

श्रीकृष्ण के विविध रूपों को आकृति देने में जुटे कलाकारः

कलाकार भगवान श्रीकृष्ण के स्वरूपों को विभिन्न आकार दिए हुए हैं. मूर्तिकारों को इस वर्ष मूर्ति से अच्छी कमाई होने की भी उम्मीद है. पिछले साल की अपेक्षा इस साल श्रीकृष्ण-जन्माष्टमी की धूम पूरे जिले में देखने को मिल सकती है. पिछले साल कोरोना महामारी के चलते कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व सादे तरीके से मनाया गया था. वहीं, मूर्तिकारों के द्वारा भगवान कृष्ण की मूर्तियां कम बनाई गई थीं. काफी कम लोगों ने अपने घरों में मूर्तियां स्थापित की थी. इस बार कोरोना संक्रमण की दर कम होने और लाॅकडाउन खुल जाने के बाद श्रीकृष्ण-जन्माष्टमी को लेकर लोगों में उत्साह देखा जा रहा है.

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जिले में रही है शानदार कार्यक्रमः
मूर्तिकार कृष्णा ने बताया कि राजनांदगांव जिले में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की शानदार परंपरा रही है. एक दिन पहले ही भगवान की मूर्तियां घरों में विराजित की जाती हैं. फिर दूसरे दिन उसका विसर्जन किया जाता है. तीसरे दिन दही-हांडी का कार्यक्रम उल्लास के साथ मनाया जाता है. इसके अलावा धर्मनगरी डोंगरगढ़ में वृहद स्तर पर दही-हांडी का कार्यक्रम होता है. इसे गोविंदोत्सव के रूप में मनाया जाता है.

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