राजनांदगांव: देश को आजाद हुए 78 साल हो चुके हैं, लेकिन आज भी वनांचल के सैकड़ों गांवों में 'कटरी' शासन बददस्तूर जारी है. एक सख्त शासन जिनकी मर्जी के बगैर गांव का पत्ता भी नहीं हिलता. इतना ही नहीं गांव का कोई भी सामूहिक आयोजन हो या फिर किसी भी नए काम की अनुमति 'कटरी' की सहमति के बिना कुछ भी संभव नहीं है. वनांचल के सैकड़ों गांव में आज भी पीढ़ी दर पीढ़ी इनका ही 'सिक्का' चलता आ रहा है, जो इनके मुंह से निकले हुए शब्द का अक्षर: पालन किया जाता है.
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वैसे सुनने और पढ़ने में यह काफी अजीब लगे, लेकिन वनांचल के सैकड़ों गांव में ऐसे ही लोगों का शासन है. ETV भारत की टीम जब वनांचल के एरिया सहपाल गांव पहुंची, तो ऐसे ही एक बुजुर्ग 'कटरी' से हमारी मुलाकात हुई. 85 साल की उम्र हाथ में लाठी सिर पर गमछा और घुटनों से ऊपर धोती देखने में काफी कमजोर, लेकिन गांव के सबसे ताकतवर व्यक्ति... जी हां यह थे गांव के कटरी, जिनका शासन पूरे गांव में चलता है, जिनकी मर्जी के बगैर गांव में कोई भी काम संभव नहीं है.
जानिए क्या है कटरी प्रथा
वनांचल के आदिवासी समाज के बीच में पीढ़ियों से 'कटरी' परंपरा चली आ रही है. गांव के एक परिवार के लोगों को आदिवासी वर्षों पहले गांव की पूरी जिम्मेदारी दे चुके हैं. इन्हें कटरी की उपाधि भी इसलिए दी गई है. कई वर्षों से पीढ़ी दर पीढ़ी कटरी की जवाबदारी संभालने वाले परिवार के सदस्य ही गांव की पूरी जिम्मेदारी को संभालते हैं. वंशानुगत चली आ रही परंपरा का आज भी आदिवासी परिवार पूरी शिद्दत के साथ निर्वहन कर रहा है.