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SPECIAL: न कमरे का किराया निकल रहा है, न खाने-पीने का हो रहा है इंतजाम

राजनांदगांव में संचालित करीब 40 से ज्यादा कोचिंग संस्थानों में पढ़ाई पूरी तरह से बंद है. इस दौरान भी संचालकों को 40 हजार रुपये तक किराया देना पड़ रहा है. जिससे अब कोचिंग संचालकों को घर चलाना भी मुश्किल हो गया है.

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Published : Jun 29, 2020, 10:30 PM IST

LOSS TO coaching institutes
मुश्किल में कोचिंग संचालक

राजनांदगांव:कोरोना संकट और लॉकडाउन के कारण कोचिंग संस्थानों के हालात खस्ता हो गए हैं. आवक शून्य है, लेकिन संस्थान चलाने के लिए आने वाली लागत ने संचालकों की माली हालत और खराब कर दी है. 40 हजार तक का किराया संचालकों को अपनी जेब से देना पड़ रहा है. यहीं कारण है कि अब कोचिंग संस्थानों के संचालक केंद्र और राज्य सरकार से किसी राहत पैकेज की मांग कर रहे हैं.

मुश्किल में कोचिंग संचालक

शहर में संचालित करीब 40 से ज्यादा कोचिंग संस्थानों में पढ़ाई पूरी तरह से बंद है. इसके चलते अब बच्चे कोचिंग संस्थानों में भी नहीं आ रहे हैं, ऐसे हालात में कोचिंग संस्थानों के संचालकों को चिंता में डाल दिया है, इन्हें घर चलाना तक मुश्किल हो रहा है.

रोजी-रोटी का संकट

संचालकों का कहना है कि 3 महीने से संस्थानों के शटर नहीं उठे हैं. बच्चे कोचिंग के लिए नहीं आ रहे हैं, लॉकडाउन के चलते बच्चों की पढ़ाई भी बंद है, वही केंद्र और राज्य सरकार ने कोचिंग संस्थानों को खोलने के लिए कोई भी गाइडलाइन जारी नहीं की है. इस कारण संस्थान को लगातार घाटा हो रहा है, अब उनकी रोजी-रोटी पर भी संकट खड़ा हो गया है.

पढ़ें-राजनांदगांव: पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम से पंप संचालक से लेकर ग्राहक तक परेशान

किराया नहीं देने पर खाली करने का नोटिस

शहर के अधिकांश कोचिंग संस्थान किराये की बिल्डिंग में चल रही है. हर महीने इन बिल्डिंग के मालिक को उन्हें किराया देना पड़ता है. अब बिल्डिंग का किराया देने में भी लोग असमर्थ हो रहे हैं. ऐसी स्थिति में मकान मालिकों ने संचालकों को बिल्डिंग खाली करने का नोटिस भी दे दिया है. 12 से ज्यादा कोचिंग सेंटर्स किराया नहीं दे पाने के कारण बंद हो गए हैं.

कम समय में ज्यादा काम पड़ेगा

कोचिंग संचालकों का मानना है कि इस साल स्कूल भी समय पर नहीं खुले जिसकी वजह से उन्हें भारी नुकसान हुआ है. नया शिक्षा सत्र भी लेट से शुरू होगा, ऐसी स्थिति में उन्हें और भी नुकसान उठाना पड़ सकता है. इसके साथ ही सिलेबस को लेकर भी दिक्कतें सामने आएंगी, कम समय में कोचिंग संस्थानों को ज्यादा काम करना पड़ेगा.

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