छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

राजनांदगांव में धूमधाम से मनाया गया गौरा गौरी पर्व, निकाली गई शोभायात्रा

Gaura Gauri festival celebrated in Rajnandgaon राजनांदगांव में धूमधाम से सोमवार को गौरा गौरी पर्व का समापन किया गया. शहर में गौरा-गौरी की शोभायात्रा निकाली गई. इस दौरान लोगों की भारी भीड़ देखने को मिली. इसके बाद गौरा-गौरी की मूर्ति का विसर्जन शहर के तालाब और नदी में किया गया.

Gaura Gauri festival
गौरा गौरी पर्व

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 13, 2023, 6:14 PM IST

Updated : Nov 13, 2023, 7:17 PM IST

राजनांदगांव में धूमधाम से मनाया गया गौरा गौरी पर्व

राजनांदगांव:छत्तीसगढ़ में सालों से धनतेरस के दिन से दीपावली तक गौरा गौरी की पूजा की जाती है. दिवाली के दूसरे दिन गौरा गौरी का विसर्जन धूमधाम से किया जाता है. इस दौरान बूढ़ा बाबा की भी शोभायात्रा निकाली जाती है. राजनांदगांव में सोमवार को भी गौरा-गौरी की शौभायात्रा निकाली गई. भारी संख्या में आदिवासी समाज के लोग बाजे-गाजे की धुन पर थिरकते नजर आए.

ऐसे की जाती है पूजा:राजनांदगांव में शहर के गौशाला पारा सहित शहर के अलग-अलग गली मोहल्ले में गौरी गौरा चौराहा स्थापित किया गया. यहां गौरी गौरा परंपरा आदिकाल से चली आ रही है. धनतेरस के दिन से इसकी शुरुआत होती है. मिट्टी लाकर भगवान शिव और पार्वती की मूर्ति बनाई जाती है. फिर शिवजी की बारात निकाली जाती है. शिवजी और गौरीजी की दोनों की शादी कराई जाती है. बारात में रात भर दिपावली के दिन भक्त नाचते गाते नजर आते हैं. दिवाली के अगले दिन ही भक्त गौरी गौरा की इस मूर्ति को श्रद्धापूर्वक और उत्साह पूर्वक नदी और तालाब में ले जाकर विसर्जन कर देते हैं. राजनांदगांव शहर के विभिन्न क्षेत्रों में सोमवार को गौरा गौरी विसर्जन की गई.

रायपुर : धूमधाम से निकाली गई गौरा-गौरी की बारात
बेमेतरा : धूमधाम से निकली गौरा गौरी की विसर्जन यात्रा
कोरिया: धूमधाम से मनाया गया गौरा-गौरी पूजा का पर्व

सभी समुदाय के लोग होते हैं इसमें शामिल: वैसे तो ये पर्व शुरू से ही आदिवासी समाज के लोग मनाते आ रहे हैं. लेकिन इस पूजा में हर समाज के लोग पहुंचते हैं. शोभायात्रा के दौरान लोगों की उमड़ी भीड़ देखते ही बनती है. आदिवासी समाज के लोग गौरी गौरा का विसर्जन बड़ी धूमधाम से गाजे बाजे के साथ करते हैं. नाचते-गाते हुए लोग नदी या फिर तालाब के पास जाकर मूर्ति को विसर्जित करते हैं. आदिवासियों की मानें तो सालों से ये परम्परा चली आ रही है. छत्तीसगढ़ में इस परंपरा की अपनी अलग पहचान है. मूलतः यह आदिवासी समाज के द्वारा किया जाता है. हालांकि इस परंपरा में सभी समुदाय और जाति के लोग जुड़ते हैं.

Last Updated : Nov 13, 2023, 7:17 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details