राजनांदगांव: छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार बनने जा रही है. नये सीएम विष्णुदेव साय होंगे. सीएम बनने की मुहर लगने के बाद विष्णुदेव साय ने जो ऐलान किया.उससे पूरे प्रदेश के साथ राजनांदगांव के किसान भी काफी खुश हैं.
किसानों की खुशी की वजह क्या है: विष्णुदेव साय को राज्य का मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा बीजेपी ने की है. इस ऐलान के बाद विष्णुदेव साय मीडिया से मुखातिब हुए, उन्होंने कहा कि, उनकी सरकार हर वादों को पूरा करेगी. लेकिन सबसे पहले 18 लाख पीएम आवास का लाभ गरीबों को मिलेगा और 25 दिसंबर के किसानों को दो साल का बोनस सरकार की ओर से दिया जाएगा. इस घोषणा के बाद से किसानों में जबरदस्त खुशी की लहर है.
अटल जी की जयंती पर मिलेगा तोहफा: 13 दिसंबर को विष्णुदेव साय रायपुर में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. विष्णुदेव साय 25 दिसंबर को किसानों को दो साल की धान की राशि का बोनस उनके खाते में ट्रांसफर करेंगे. 25 दिसंबर का दिन इसलिए भी चुना गया है क्योंकि, उस दिन पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती है.
राजनांदगांव के कितने किसान हैं लाभार्थी: बीजेपी ने अपने चुनावी संकल्प पत्र में ये वादा किया था कि, अगर उनकी पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी तो किसानों को पिछले साल के बोनस का भुगतान किया जाएगा. वादे के मुताबिक, बीजेपी ने बोनस देने का ऐलान किया है. राजनांदगांव जिले में करीब 1 लाख 50 हजार किसानों को इसका फायदा मिलेगा. इतने किसानों को बोनस देने के लिए इस जिले में कुल 238 करोड़ की राशि का भुगतान सरकार करेगी.
"दोनों वर्षों को मिलकर किसानों को लगभग 238 करोड़ रुपए का बोनस दिया जाना है. जिससे किसानों को इसका लाभ मिलेगा. भाजपा ने अपनी घोषणा पत्र में इसको दिए जाने का वादा किया है. जिले के किसानों को भी इसका लाभ मिलेगा." मधुसूदन यादव, पूर्व सांसद राजनांदगाव और भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष
धान की खरीदी का आंकड़ा क्या है: राजनांदगांव जिले में 2016-17 में करीब डेढ़ लाख किसानों ने 51 लाख 78 हजार 54 क्विंटल धान बेचा. 2017 में इस आंकडे़ में बढ़ोतरी हुई. दोनों साल में कुल 79.49 लाख क्विंटल धान की खरीदी हुई. दोनों साल को मिलाकर किसानों को करीब 238 करोड़ रुपए का बोनस दिया जाएगा.
2018 के विधानसभा चुनाव में धान का बोनस बड़ा मुद्दा था. कांग्रेस को सत्ता मिली, बीजेपी को सत्ता से बेदखल होना पड़ा. जानकार बताते हैं कि, हार की एक बड़ी वजह ये भी रही. इस बार बीजेपी किसानों के मुद्दे पर कोई कोताही नहीं बरतना चाहती है.