राजनांदगांव: कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देशभर में किए गए लॉकडाउन का सीधा खामियाजा फूलों की खेती करने वाले किसानों को भुगतना पड़ रहा है. किसानों की फूलों से लहलहाती खेती बर्बादी की कगार पर है. लॉकडाउन होने से फूलों की खेती करने वाले किसानों को प्रति एकड़ तकरीबन 70 हजार तक का नुकसान उठाना पड़ा है. इस कारण वे अब कर्ज तले दबते जा रहे हैं. अब वे सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.
मांग ही नहीं अब क्या करें किसान
25 मार्च से हुए लॉकडाउन के कारण फूलों की मांग बाजार में अचानक खत्म हो गई. एक महीना बीत जाने के बाद भी बाजार में फूलों की डिमांड नहीं आ रही है. इसके चलते किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि प्रति एकड़ निकलने वाली तकरीबन 2 खेप पूरी बर्बाद हो चुकी है. 2 क्विंटल से अधिक फूल खराब हो चुके हैं, जिन्हें अब कचरे में फेंका जा रहा है.
कीटों और बीमारियों से प्रभावित
पौधों में फूल खिले हुए हैं, लेकिन समय पर इन्हें सही वक्त पर नहीं तोड़ने से इनमें कई तरह के कीट लग गए हैं, जिन्हें बचाने के लिए किसान कीटनाशक दवाओं का भी उपयोग कर रहे हैं. इससे उन्हें दोहरा नुकसान हो रहा है. खड़ी फसल नहीं बिकने से लागत और मेहनत दोनों का मूल्य नहीं मिल पा रहा है, वहीं खड़ी फसल को बचाने के लिए महंगे कीटनाशक खरीदकर उन्हें छिड़काव करना पड़ रहा है. इसके लिए अतिरिक्त राशि खर्च हो रही है. इससे फूल की खेती करने वाले किसानों पर दोहरी मार पड़ी है.
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