राजनांदगांव: कोरोना वायरस का दंश पूरा विश्व झेल रहा है. इस भयावह बीमारी से छुटकारा पाने के लिए लॉकडाउन किया गया है. लेकिन लगातार बढ़ते लॉकडाउन के कारण गर्मी में धान की फसल लेने वाले किसानों को नुकसान झेलना पड़ सकता है. किसानों की फसल खेतों में पक कर तैयार हो चुकी है, लेकिन अब इस खड़ी फसल को काटने के लिए लॉकडाउन के कारण मजदूर नहीं मिल पा रहे हैं. किसानों की मजबूरी का हार्वेस्टर संचालक भी फायदा उठा रहे हैं. किसानों की फसल काटने को लेकर के दोगुनी रकम की मांग की जा रही है. जिसकी वजह से अन्नदाता अपनी फसल को लेकर चिंता में डूबा हुआ है.
ETV भारत की टीम ने जिले के अलग-अलग इलाकों में गर्मी में धान की फसल लेने वाले किसानों की फसल का जायजा लिया. किसानों को लगातार लॉकडाउन बढ़ने से आने वाली दिक्कतों को लेकर उनसे चर्चा की. इस दौरान किसानों ने बताया कि खेतों में गर्मी के मौसम में ली जाने वाली धान की फसल पक कर तैयार हो चुकी है, लेकिन धान काटने के लिए उन्हें मजदूर ही नहीं मिल पा रहे हैं. मौसम में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है. लगातार रुक-रुक कर बारिश भी हो रही है. इसके कारण किसानों को उनके फसल के खराब होने की चिंता सता रही है.
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डेढ़ लाख एकड़ पर संकट का साया
रबी सीजन में धान लगाने वाले किसानों की संख्या जिले में तकरीबन 60 से 70 हजार है. यह किसान हर साल 1,50,000 एकड़ में धान की फसल लगाते हैं. गर्मी में धान की खेती जिले में काफी बेहतर होती है, हालांकि धान के रकबे का यह आंकड़ा खरीफ के तुलना में आधा ही है, लेकिन फसल अच्छी होने के कारण किसान गर्मी के सीजन में भी धान की फसल लेना बेहतर समझते हैं.
ETV भारत की टीम ने कई गांवों का जायजा लिया
ETV भारत की टीम ने जब जिले के मोखला, रातापयली, करमतरा, खुज्जी, कीरगी, दर्री गांवों का दौरा किया, तो पता चला कि गर्मी के सीजन में भी किसानों की फसल काफी बेहतर हुई है, लेकिन मजदूरों की कमी के कारण उन्हें अब फसल के खराब होने का डर सता रहा है. लगातार मौसम में बदलाव देखने को मिल रहा है. तकरीबन 3 दिन से रुक-रुक कर बारिश भी हो रही है. इसके कारण किसानों की फसल को नुकसान होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.