राजनांदगांवः संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित और मशहूर रंगकर्मी दीपक तिवारी (विराट) का शुक्रवार को निधन हो गया. वे लंबे समय से बीमार थे. वे राजनांदगांव में अपने परिवार के साथ रह रहे थे. उनके निधन से कला जगत को बड़ी क्षति पहुंची है. परिवार समेत कला प्रेमी शोक में डूबे हुए हैं. चरणदास चोर नाटक के जरिए दीपक तिवारी ने अपनी प्रतिभा को छत्तीसगढ़ समेत देश-दुनिया के रंगमंच में दिखाया था. कुछ साल पहले उनके बेटे सूरज का निधन हो गया था.
2008 में हो गए थे लकवा ग्रस्त
2008 से दीपक तिवारी लकवा ग्रस्त हो गए थे. इसके बाद से वे कभी अपने कमरे से बाहर नहीं निकले. कुछ समय से उनका दिमाग भी काम करना भी बंद कर दिया था. ऐसे हालात से गुजरते हुए उन्होंने अंतिम सांस ली.
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राजनांदगांव को बनाया अपना कर्मक्षेत्र
दीपक विराट तिवारी मूलत: बिलासपुर के रहने वाले थे. हालांकि राजनांदगांव को अपना कर्म क्षेत्र बनाया. साल 1980-90 के दशक में हबीब तनवीर के ग्रुप नया थियेटर का हिस्सा बने. उन्होंने चरणदास चोर, लाला शोहरत राय, मिट्टी की गाड़ी, आगरा बाजार, कामदेव का अपना बसंत ऋतु का सपना, देख रहे हैं नैन, लाहौर नहीं देखा और हिरमा की अमर कहानी जैसे नाटक में अपनी अलग छाप छोड़ी.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया था सम्मानित
दीपक विराट तिवारी देश के प्रसिद्ध रंगकर्मी हबीब तनवीर के नाटकों के दबंग किरदार निभाते थे. मशहूर नाटक चरणदास चोर में चोर का जीवंत किरदार निभाकर उन्होंने नाट्य कला के क्षेत्र में विश्व में अपनी अलग पहचान बनाई थी. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सम्मानित किया गया था।